मां बगलामुखी की पूजा में नियमों का रखें ध्यान , पूजा करने से शत्रु और रोग होते हैं दूर

उज्जवल हिमाचल डेस्क…

पंचांग के अनुसार 20 मई बृहस्पतिवार का दिन विशेष है। इस दिन मां बगलामुखी जयंती है। इस दिन वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है । दोपहर 12 बजकर 25 मिनट के बाद नवमी की तिथि का आरंभ होगा । आज नक्षत्र मघा है और चंद्रमा सिंह राशि में गोचर कर रहा है । मां बगलामुखी को प्रसन्न करने के लिए आज का दिन उत्तम है । मां बगलामुखी को विशेष दर्जा प्राप्त है। मां बगलामुखी हर दुख, संकट और पीड़ा से मुक्ति दिलाती हैं। शत्रुओं का नाश करती हैं और सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं।

  • मां बगलामुखी की पूजा में नियमों का ध्यान रखें

शास्त्रों के अनुसार मां बगलामुखी को 10 महाविद्याओं में से एक माना गया है। ये 10 महाविद्याओं के क्रम में 8वीं महाविद्या है। परंपरा के अनुसार वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मां बगलामुखी की जयंती मनाई जाती है। इसी तिथि को मां बगलामुखी अवतरित हुई थीं । अष्टमी तिथि पर मां बगलामुखी की विधि पूर्वक पूजा अर्चना की जाती है। वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी मां बगलामुखी को समर्पित है। इस दिन नियमों का कठोरता से पालन करना चाहिए। क्यों मां को अनुशासन और नियम अधिक पसंद हैं, इसलिए इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

स्वच्छता को अपनाएं।
व्रत के नियमों का पालन करें।
प्रात: स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेकर पूजा आरंभ करनी चाहिए।
नशा आदि से दूर रहना चाहिए।
वाणी को दूषित न करें।
क्रोध न करें।
अहंकार भूलकर भी न करें।
किसी का अपमान न करें।
दान आदि का कार्य करना चाहिए।

  • शत्रु, रोग और संकटों से मुक्ति मिलती है

मां बगलामुखी की पूजा हर प्रकार की बाधा और कष्ट को दूर करती है। मां बगलामुखी की पूजा उस स्थिति में अधिक लाभकारी मानी गई है जब व्यक्ति किसी गंभीर परेशानी में जकड़ा हो । गंभीर परेशानी होने पर मां की भक्तिभाव के साथ पूजा करने से राहत मिलती है और बाधा दूर होती है ।

  • मां बगलामुखी जयंती शुभ मुहूर्त
    बगलामुखी जयंती तिथि: 20 मई 2021
    पूजा का शुभ समय: सुबह 11 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक।
    पूजा की कुल अवधि: 55 मिनट ।