मेक इन इंडिया पर जाेर देगा डिफेंल सेक्टर, कई विदेशी सामान के आयात पर लग सकती है राेक

उज्जवल हिमाचल। नई दिल्ली

केंद्र सरकार नई रक्षा उत्पादन और निर्यात संवर्धन नीति लेकर ला रही है। इसके तहत देश में ही रक्षा उत्पादन को मजबूत किया जाएगा और मित्र देशों को रक्षा सामग्री का निर्यात किया जाएगा। माना जा रहा है कि यह नई पॉलिसी रक्षा क्षेत्र में आयात कम करने और निर्यात बढ़ाने में मदद करेगी। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार अब डिफेंस प्रोजेक्ट से जुड़े कई आयात परियोजनाओं को स्थगित करने जा रही है। सैन्य क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार ने यह बड़ा फैसला किया है।

बुधवार को रक्षा मंत्रालय की एक उच्च स्तरीय बैठक होगी। इस बैठक में दूसरे देशों से खरीदे जाने वाली ग्लोबल कैटिगरी के सभी आयात परियोजनाओं की समीक्षा की जाएगी। ग्लोबल कैटिगरी का मतलब है कि डिफेंस फोर्स विदेशी कंपनी से सामान का पूरी तरह से आयात कर सकते हैं। सरकारी सूत्रों के अनुसार सरकार ग्लोबल कैटिगरी में आने वाले कई प्रोजेक्ट को रद्द या स्थगित भी कर सकती है। अब विदेशी सामान के बदले भारत में विकसित, डिजाइन और बनाए गए प्रोडक्टस के अधिग्रहण को तरजीह दी जाएगी।

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सूत्रों ने बताया कि ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारतीय निर्माताओं को सैन्य क्षेत्र से जुड़ी कई हजार करोड़ की परियोजनाएं दी जाएंगी। सरकार के इस फैसले का असर भारतीय नौसेना, वायु सेना और सेना की परियोजनाओं पर पड़ेगा। बता दें कि भारतीय नौसेना की कामोव हेलीकॉप्टर अधिग्रहण परियोजना अभी एडवांस स्टेज में है, वह भी इसके दायरे में आ सकता है। सरकार के इस नए पॉलिसी का असर कॉमबैट प्लेटफॉर्म, गन और एयरक्राफ्ट से संबंधित कई परियोजनाओं पर
भी पड़ेगा।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन सीडीएस जनरल विपिन रावत ने रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक की थी। उस बैठक में यह रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए मेक इन इंडिया पर जोर देने के निर्देश दिए गए थे। प्रधानमंत्री समय-समय पर आत्मनिर्भर भारत से जुड़े प्रोजेक्टस की समीक्षा भी करते हैं। फिलहाल यह समीक्षा 15 जनवरी तक पूरी की जानी है।