व्यवसायियों पर हमले के बाद यहां पर मार्शल लॉ की घोषणा

उज्जवल हिमाचल। डेस्क

म्‍यांमार में चीन की आर्थिक मदद से चल रहे कारखानों और चीनी व्यवसायियों पर हमले के बाद से सैन्य अधिकारियों ने क्षेत्र में मार्शल लॉ की घोषणा कर दी है। रविवार को प्रदर्शनकारियों ने यंगून के उपनगरीय क्षेत्र में चीन की आर्थिक मदद से चल रहे कारखानों को आग के हवाले कर दिया। इसके बाद सुरक्षा बलों की गोलीबारी में अलग-अलग जगह कम से कम 39 प्रदर्शनकारी मारे गए। अकेले यंगून मेें 22 लोगों के मारे जानेे की खबर है। दरअसल, प्रदर्शनकारियों का मानना है कि चीन, सेना को समर्थन दे रहा है। म्यांमार में सत्तारूढ़ जुंटा (सैन्य शासन) ने देश के सबसे बड़े शहर यांगून के कई हिस्सों में मार्शल कानून लागू कर दिया गया है।

असैन्य सरकार का तख्ता पलट करने के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों को काबू करने के लिए की जा रही सख्त कार्रवाई में मारे गए लोगों की बढ़ती संख्या के बीच सैन्य शासन ने यह कदम उठाया है। बता दें कि देश में तख्ता पलट के बाद गत छह हफ्ते से आपातकाल लागू है, लेकिन रविवार देर शाम सरकारी प्रसारक एमआरटीवी ने पहली बार मार्शल कानून का जिक्र किया। इससे प्रतीत होता है कि सुरक्षा की जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस के बजाय सेना ने सीधे अपने हाथ में ले ली है। घोषणा में कहा गया कि सुरक्षा और कानून व्यवस्था को बहाल करने के लिए यांगून के क्षेत्रीय कमांडर को उसके नियंत्रण वाले क्षेत्र में प्रशासनिक, न्यायिक और सैन्य अधिकार दिए गए हैं।

म्यांमार में लोकतंत्र समर्थक आंदोलनकारियों पर सेना के दमनचक्र की दुनियाभर में आलोचना हो रही है। एमनेस्‍टी इंटरनेशनल ने कुछ ही दिन पहले अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि म्‍यांमार में प्रदर्शनों को कुचलने के लिए सेना ऐसे हथियारों का इस्‍तेमाल कर रही है, जिन्‍हें युद्ध के दौरान इस्‍तेमाल किया जाता है। संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव भी म्‍यांमार के हालातों पर अपनी चिंता व्‍यक्‍त कर चुके हैं। एसिस्टेंस एसोसिएशन फार पालिटिकल प्रिजनर्स ने देशभर में 38 लोगों के मारे जाने का दावा किया है।

रविवार को हुई हिंसा को लेकर जब मीडिया ने सैन्य प्रवक्ता से उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। सेंट्रल म्यांमार में स्थित मोन्वा टाउनशिप ने अपनी स्थानीय सरकार और पुलिस बल के गठन का एलान किया है। बता दें कि एक फरवरी को हुए तख्तापलट के बाद से अब तक सौ से अधिक प्रदर्शनकारी जहां मारे जा चुके हैं। वहीं, 2100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

गौरतलब है कि अमेरिका ने फिलहाल अपने यहां मौजूद म्‍यांमार के लोगों के अस्‍थायी निवास देने की पेशकश की है। इसका अर्थ है कि ऐसे लोग जो म्‍यांमार के निवासी हैं और तख्‍तापलट की कार्रवाई से पहले से अमेरिका में रह रहे थे, वो अब अगले 18 माह तक वहां पर रह सकेंगे। अमेरिका में होमलैंड सिक्‍योरिटी सेक्रेटरी एलेजान्द्रो मयोरकाज के मुताबिक ऐसे लोगों को अस्‍थायी निवास दिया जा सकेगा।