मिंजर मेला कल से, मात्र निभाई जाएंगी रस्में

शैलेश शर्मा। चंबा

सदियों से परंपरागत मनाए जाने वाला ऐतिहासिक मिंजर मेला कल से शुरु होने जा रहा है। इस वर्ष यह मेला उस धूमधाम से नहीं बल्कि प्राचीन परंपराओं और उनके रीति-रिवाजों को निभाने भर की रस्म ही निभाई जाएगी। बताते चलें कि इस बार काेराेना महामारी की भेंट चढ़ चुका यह अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेला जो कि पुरे एक सप्ताह तक ऐसी चंबा के ऐतिहासिक चौगान में चला करता था। आज इस मेले की मात्र सभी रस्मे औपचारिकता तौर पर निभाई जाएंगी।

बताते चले कि जिला प्रशासन ने कल से शुरू होने वाले इस मिंजर मेले में एतिहात के तोर पर काेराेना से संक्रमित चार मुहल्ले को सुबह नो बजे से लेकर दौपहर एक बजे तक पूर्णता सील करने का फैसला भी लिया है, तो वंही इस मेले के शुरू में ज्यादा लोगों की भीड़ न इकटठी न हो बाहर से आने वाली सभी गाड़ियों को चम्बा शहर में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा, ताकि कोई ऐसी चूक न हो जाए, जिससे क्रोना का प्रभाव इस जिले में और ज्यादा देखने को मिले।

सुना पड़ा यह चंबा का चौगान है, जंहा पर हर साल सावन के इसी महीने में इस मेले की शुरुआत होती थी, पर इस बार यह मेला क्रोना महामारी की भेंट चढ़ चूका है। बताते चले कि अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेले की विशेषता यहां ये भी है कि लक्ष्मीनारायण मंदिर तथा रघुनाथ जी के मंदिर में चढ़ाई जाने वाली पहली मिंजर को मुस्लिम परिवार द्वारा ही तैयार किया जाता है तथा उसी परिवार के सदस्य ही भगवन लक्ष्मीनारायण और भगवान रघुबीर को सबसे पहले मिंजर को चढ़ाते हैं।

हिन्दू मुस्लिम भाई चारे की ऐसी अटूट मिसाल ऐसी परंपरा सायद ही और कंही देखने को मिले। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस ऐतिहासिक मिंजर मेले में विशेष ताैर पर देखने वाली बात यह होती है कि इस मेले को देखने लोग साल भर इंतजार करते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार जब चंबा के राजा पड़ोसी राज्य पर विजय हासिल कर चंबा लौटे थे, तो चंबा के लोगों ने उन्हें मक्की पर आने वाली मिंजर भेंट की थी, जिसके बाद से इस मेले का शुभारंभ हुआ था। यह परंपरा आज तक चंबा जिला में कायम है तथा मिंजर मेले के दौरान हर धर्म, जाति वर्ग के लोग आते हैं तथा एक दूसरे के साथ मिलकर मेले की खुशियां मनाते हैं।

सदियों से मनाए जाने इस ऐतिहासिक मिंजर मेले को देखने यंहा के स्थानीय लोगो के साथ ग्रामीण लोग भी पूरा साल भर इसका इंतजार करते हैं, पर इस वर्ष यह मेला सिर्फ रस्म के तौर पर ही निभाया जाएगा। यंहा के स्थानीय लोगों के साथ महिलाओं ने भी जिला प्रशासन की इस पहल का सुआगत करते हुए कहा कि क्रोना के बचाव को देखते हुए जिला प्रशासन जो लोगों की सुरक्षा को लेकर जो भी कदम उठाए हैं, वह बिलकुल ठीक है। इन लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी जी की बातों को दोहराते हुए कहा कि जिस तरह से मोदी जे ने कहा था कि जान है, तो जहान है। उन्होंने कहा कि क्रोना की इस लड़ाई में हम सब को मिल जुलकर काम करना होगा और प्रशासन द्वारा दी जाने वाली गाईड लाइन को समझते हुए उसपर अम्ल करना चाहिए।

जिला प्रशासन में भी इस बारे बताया कि पिछले हफ्ते भी इसको लेकर एक मीटिंग हुई थी, उसमे भी साफ तौर पर कहा गया था मिंजर के जो ऐतिहासिक रीती रिवाज होंगे वही ही किए जाएंगे। उसके अलावा और कुछ भी नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसी को देखते हुए कल सुबह नो बजे से लेकर दौपहर एक बजे तक मुख्यालय के चार मुहल्ले सील्ड रहेंगे। और इस दरमियान सील्ड किये गए मुहल्लों से कोई भी व्यक्ति अपने घरो से बाहर नहीं निकलेगा।

उन्होंने कहा कि चंबा का यह ऐतिहासिक मिंजर मेला चंबा के लोगों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है। इस बीच लोग अपने घरों ने इसके रीति-रिवाज को निभा सकते हैं। उन्होंने जिला के सभी लोगों से अपील करते हुए कहा कि लोग पहले की तरह उनका अब सहयोग करे। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यालय की और आने वाली सभी गाड़ियों को को भरमौर ज़ीरो पॉइन्ट पर ही रोक दिया जाएगा और उन गाड़ियों को पुलिस ग्राउंड बारगाह में खड़ी करने के सरे इंतजाम भी कर दिए गए है।

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