विधायक महोदय कब नसीब होगी लावारिस पशुओं को गौशाला

चैन गुलेरिया। जवाली

वैसे तो विश्व हिन्दू परिषद व अन्य दल आवारा पशुओं की सुरक्षा के बारे में काफी ढींगे मारते हैं, लेकिन यह सब हवाई तीर ही साबित होते हैं, धरातल पर सब जीरो है। उन्हीं की तर्ज पर जवाली के विधायक ने भी 2017 का चुनाव लावारिस पशुओं के लिए गाैशाला बनाने के नाम पर लड़ा और जीत हासिल की। लगभग विधायक बनने के दो वर्ष बाद ही विधायक ने इन पशुओं के ठहराव के लिए एक ऐसी जगह ढूंढी, जो आज बरसात की पहली बारिश में ही सारे क्षेत्र में पानी ही पानी फैला हुआ नजर आ रहा है। लाखों रुपए खर्च किए गए, लेकिन गौशाला अभी तक नहीं बन पाई।

जवाली क्षेत्र में गौशाला न होने कारण जगह-जगह बेचारी असहाय गाय जिंदगी और मौत से जूझती हुई नजर आई, जिसका उदाहरण बुहल खड्ड में आज देखने को मिला।सोमवार को भारी बारिश के चलते बुहल खड्ड का उफान काफी ज्यादा था, जिसके चलते रात को बेसहारा गाएं बुहल खड्ड के मध्य में सुखी जगह पर बैठी थी कि अचानक खड्ड में भारी उफान आ गया और सारी गाएं खड्ड के मध्य भाग में फंस गई। चारों तरफ पानी ही पानी था। भाग्य का विधान ऐसा था कि कोई भी उन्हें उस उफान से बाहर भी नहीं निकल सकता था।

इस दृश्य को देखने के लिए लोगों का जमाबड़ा हो गया और गनीमत रही कि उस भाग तक पानी का कोई जोर नहीं चला। नहीं तो सारी की सारी गाएं जल की भेंट चढ़ जाती। बुद्धिजीवी लोगों ने जयराम सरकार से गुहार लगाई है कि किसी अन्य सुरक्षित जगह पर गौशाला बनाई जाए, ताकि बेसहारा पशु सुरक्षित रह सकें। उन्होंने कहा कि जो जगह विधायक द्वारा चिंहित की गई है, वो केवल उनके चहेते ठेकेदारों की कमाई के लिए ठीक है, लेकिन गौशाला के लिए असुरक्षित है।