राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से आत्मनिर्भरता की ओर महिलाएं

कार्तिक। बैजनाथ

मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए मंत्र का जाप करते हुए बैजनाथ विकास खंड की ग्राम पंचायत, बंडियां की छः महिलाओं ने कोविड-19 संकट काल के दौरान संगठित होकर प्रधान मंत्री के आत्मनिर्भरता के सूत्र को चरितार्थ कर दिखाया है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह के माध्यम से इन महिलाओं ने प्राकृतिक कृषि पद्धति से सब्जी उत्पादन कर मिसाल कायम की है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में बंडियां निवासी सकीना देवी, बीना देवी, मंजीत कुमारी, रेणु कुमारी, बनिता देवी और सुनीता देवी ने स्वयं सहायता समूह गठित कर सब्जी उत्पादन आरंभ किया। प्रदेश सरकार की महत्वकांक्षी कार्यक्रम प्राकृतिक खेती से प्रेरित होकर अपने खेतों में सब्जी उत्पादन आरंभ किया।

इन महिलाओं ने अपनी महत्वकांक्षा को कड़ी मेहनत में पिरोते हुए प्राकृतिक खेती करने की विधि का प्रशिक्षण प्राप्त किया। उन्हें सरकार से उन्नत बीज आदि खरीदने के लिए 15 हजार रुपये की सहायता प्राप्त हुई। प्राकृतिक खेती में शून्य लागत और बेहतर उत्पादन परिणामों को देखकर उन्होंने प्राकतिक खेती को अपनाया। परिणामस्वरूप इस महिला समूह द्वारा रासायनिक खाद और कीटनाशकों के बगैर तैयार उत्पाद अच्छे दामों पर हाथों-हाथ बिकने से उन्हें अच्छी आय भी प्राप्त हो रही है। इस समूह के सभी सदस्यों का एकमत है कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन सरकार का बेहद सफल कार्यक्रम है। इसके माध्यम से कई अन्य लोगों की तरह वे भी आत्मनिर्भरता के पथ पर अग्रसर हुईं। सरकार उन्नत बीजों के लिये आर्थिक सहायता के साथ समय-समय पर प्रशिक्षण भी प्रदान कर रही है।

सरकार ने उन्हें बीजों आदि के लिए 15 हजार की वित्तीय सहायता मुहैया करवाई है। इस समूह ने अपने खेतों में बैंगन, शिमला मिर्च, भिंडी, लौकी, टमाटर वगैरह लगाए हैं। प्राकृतिक रूप में उगाई गई इन सब्जियों के बाजार में अच्छे दाम मिलने मिल रहे हैं। प्राकृतिक खेती अपनाते हुए अच्छा कार्य करने से यह स्वयं सहायता समूह दूसरी महिलाओं के लिये प्रेरणा स्त्रोत बनकर सामने आया है। महिलाओं को सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन कारगर सिद्ध हो रहा है। विकास खण्ड, बैजनाथ में इस कार्यक्रम में 48 समूहों की लगभग 300 महिलाओं को स्वरोजगार के बेहतर अवसर प्राप्त हुए हैं। सरकार द्वारा समय-समय पर प्रशिक्षण और अनुदान भी उपलब्ध करवाया जा रहा है ताकि समूह बेहतर ढंग से संचालित हो सकें। समूहों द्वारा बनाये गये उत्पादों को बेचने के लिएभी सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है। विकास खंड अधिकारी बैजनाथ, कुलवंत सिंह का कहना है कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत घर-द्वार ही स्वरोजगार के अवसर प्राप्त होने से महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं। इस कार्यक्रम में महिलाएं पशुपालन, सिलाई-कढ़ाई, बुनाई तथा पारम्परिक खाद्य् उत्पाद आदि गतिविधियों से जुड़ी हैं। अपनी गुणवत्ता के चलते इन उत्पादों की मांग अच्छी होने से यह घर-द्वार ही बिक जाते हैं।