उज्जवल हिमाचल डेस्क…
वास्तु के अनुसार घर से टूटे हुए फर्श से वास्तु दोष उत्पन्न होता है। ऐसी स्थिति में घर में नकारात्मकता का संचार होने से कलह शुरू हो जाती है। परिवार के सदस्यों के बीच छोटी-छोटी बातों पर विवाद होने लगता है। इससे बचने के लिए टूटे हुए फर्श पर डोरमैट रख देना चाहिए।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का द्वार दोष मुक्त होने से ना केवल सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, बल्कि घर में खुशहाली एवं आर्थिक समृद्धि भी बनी रहती है। यूं तो आजकल अधिकतर लोग घर के मुख्य द्वार पर पायदान यानी डोरमैट रखते हैं।
पायदान यानी डोरमैट से एक तरफ जहां सजावट एवं सुंदरता बढ़ती है तो वहीं, घर के अंदर मिट्टी एवं गंदगी नहीं आती। लेकिन वास्तु के अनुसार ये जानना आवश्यक है कि घर में डोरमैट कहां, कैसे और किस रंग का होना चाहिए।
वास्तु के अनुसार घर से टूटे हुए फर्श से वास्तु दोष उत्पन्न होता है। ऐसी स्थिति में घर में नकारात्मकता का संचार होने से कलह शुरू हो जाती है। परिवार के सदस्यों के बीच छोटी-छोटी बातों पर विवाद होने लगता है। इससे बचने के लिए टूटे हुए फर्श पर डोरमैट रख देना चाहिए।
वास्तु शास्त्र के मुताबिक, घर का डोरमैट आयताकार होना चाहिए। आयताकार डोरमैट से घर के सदस्यों के आपसी रिश्ते मजबूत होते हैं। घर के अशांति के महौल को खत्म करने के लिए पायदान के नीचे काले कपड़े में थोड़ा कपूर बांधकर रखें। इससे नकारात्मकता दूर होने के साथ संबंध मजबूत होते हैं।
मुख्य द्वार पूर्व दिशा में हो तो हल्के रंग का डोरमैट इस्तेमाल करना चाहिए। उत्तर दिशा के लिए हमेशा हल्के रंग का डोरमैट इस्तेमाल करना शुभ होता है। घर के बाहर कमरों में रखे जाने वाले पायदान के नीचे फिटकरी रखने से नकारात्मकता दूर होती है।