एनआरआई दविंदर बीहला अमरीका का पासपोर्ट कराएगा जमा

अखिलेश बंसल। बरनाला

पंजाब प्रदेश के जिला बरनाला के एनआरआई एक नौजवान ने विदेश को अलविदा कहने और पंजाब राज्य के लुप्त हो चुके सभ्याचार को फिर से सुरजीत करने के लिए अमरीका के पासपोर्ट को वापस कर अपनी जन्मभूमि पर पक्के तौर पर रहने का फैसला किया है। प्रदेश की सेवा करने का लक्ष्य लेकर अमरीका से लौटे गांव बीहला के मूल निवासी दविंदर सिंह के जज्बे को देखते हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री पंजाब सुरजीत रक्खड़ा ने शिरोमणि अकाली दल को कोहेनूर हीरे के रूप में दिया है।

बताने योग्य है कि दविंदर सिंह बीहला क्रांतिकारी विचारधारा रखने वाला व पढ़ा-लिखा नौजवान है। जिसने प्रदेश के अंदर बहुपक्षीय क्रांति लाने के लिए आम आदमी पार्टी को तन-मन-धन के साथ सहयोग ही नहीं दिया बल्कि उसने विधान सभा मतदान के दौरान जिला बरनाला की तीन सीटें आम आदमी पार्टी की झोली में परोस कर दी थीं। लेकिन अब इस नौजवान ने शिरोमणी अकाली दल से पंजाब के विकास के लिए उठाए जाने वाले कदमों के लिए जिंद-जान से सेवा करने का वादा एवं दावा किया है।एमसीएम डीएवी कॉलेज कागड़ा में ऑनलाइन एडमिशन फॉर्म भरने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें…

लोगों को इंसाफ दिलाने क्राईम जस्टिस की परीक्षा पास की
दविन्दर सिंह बीहला की 8वीं क्लास तक की प्राथ्मिक पढ़ाई पंजाब प्रदेश के जिला बरनाला के बाबा गांधा सिंह पब्लिक स्कूल में, जिला बठिंडा स्थित समरहिल पब्लिक स्कूल और हिमाचल प्रदेश के डगशई-कसौली से हासिल की। उसके बाद उसके परिवारिक सदस्य उसे अमरीका ले गए, जहां दविंदर ने 9वीं की पढ़ाई कैलेफोरनिया और 10वीं से 12वीं तक की पढ़ाई वाशिंगटन से प्राप्त की। इससे पहले कि दविंदर सिंह बीए या कोई अन्य डिग्री हासिल करता, अमरीका देश में एक वर्ग से हो रहे जुल्म सितम के हालातों के मद्देनजर उसके मन में एक बहुत बड़ा प्रश्न था कि अमरीका में रंगभेद था।

काले लोग जितना भी अच्छे होते उन्हें अपराधी ही मानते थे, जबकि गोरा व्यक्ति जितना भी अपराधी होता, उसके खिलाफ कोई कार्यवाही न होती। हालांकि अमरीका के लोग भारत देश के योद्धाओं हरी सिंह नलवा, बंदा सिंह बहादुर सहित अन्य योद्धाओं और भारतीय संस्कृति को दिल से पसंद करते थे, परंतु दविंदर सिंह बीहला ने काले लोगों को इंसाफ दिलाने के वास्ते अमरीका में क्रिमिनल जस्टिस की श्सििल की। पढ़ाई से संबंधित सभी टैस्ट भी पास किये, नौकरी भी मिली, लेकिन सामाजिक कामों में अडंगा बन रही नौकरी को ठुकरा दिया।

खैहरा और रक्खड़ा बने राजनीतिक गुरु
दविंदर सिंह बीहला दे दो राजनीति गुरू हैं। उसकी राजनीति की शुरुआत उस समय हुई जब वह विदेश में बैठा था। साल 2011 के दौरान पंजाब की राजनीति से संबंधित एक टीवी चैनल पर सुखपाल सिंह खैहरा की इंटरव्यू चल रही थी। जिसके खत्म होते ही बीहला ने खैहरा के साथ सोशल मीडिया (फेसबुक्क) पर संपर्क किया। समय के चलते दोनों के बीच भाई समान दोस्ताना बढ़ गया। उसके बाद प्रदेश के अंदर विधान सभा के मतदान हुए, जिसके दौरान सुखपाल सिंह खैहरा की कांग्रेस के बीच खट्टास पैदा हो गई। खैहरा ने दविंदर सिंह बीहला से संपर्क किया और आम आदमी पार्टी की इन्कलाबी पॉलसियों से संबंधित विचार-विमर्श किया। बीहला ने खैहरा से जिला बरनाला की तीनों सीटों के लिए जीत का वादा किया।

दविंदर सिंह बीहला जो कि शिरोमणी अकाली दल के पहली कतार के नेता सुरजीत रक्खड़ा के बेटे से अमरीका में तकरीबन मिलते जुलते रहते थे। सुरजीत रक्खड़ा ने पार्टी प्रधान सुखबीर सिंह बादल के साथ बातचीत की और दविंदर बीहला को कोहनूर बताया। सुखबीर सिंह बादल तुरंत गांव बीहला पहुंचे और अपनी दाहिनी बाज़ू बनाया। गौरतलब हो कि तत्कालीन हुई बैठक के दौरान भी दविंदर बीहला ने प्रदेश की संस्कृति और युवा पीढ़ी को बचाने पर ही समझौता किया।

इस लिए छोड़ा आप का साथ
दविंदर सिंह बीहला को आम आदमी पार्टी के प्रमुख से शिकवा यह था कि शुरुआत में अरविंद केजरीवाल ने पार्टी सदस्यों, प्रतिनिधियों और करोड़ों समर्थकों को सब्जबाग दिखाए थे। भारत देश के अंदर नया इन्कलाब लाने के बड़े-बड़े वायदे किए, पार्टी की वैबसाईट बनाने की बात कह कर सिर्फ पंजाब के अंदर से करोड़ों-अरबों रुपए इकट्ठे कर लिए। नतीजा यह हुआ कि वैबसाईट तो बनानी ही क्या थी, पार्टी के लिए जिंद-जान लगाने वाले जुझारू प्रशांत, कुमार विश्वास एवं जरनैल सिंह खालसा जैसे कई दिग्गज थे, जिन्हें बाहर का रास्ता ही दिखा दिया। हर राज्य में सीटों की बांट पैसों से तोल कर हुई। जिनसे संबंधित तमाम प्रमाण उनके पास हैं।

ढींडसा परिवार के समक्ष भी रखा सवाल
दविंदर सिंह बीहला ने सुखदेव सिंह ढींडसा से सवाल किया है कि शिरोमणी अकाली दल ने उनको दो बार राज सभा सदस्यता के पद पर बिठाया है और परमिंदर सिंह ढींडसा को कैबिनेट मंत्री और खजाना मंत्री का रुतबा दिलाया है, उसके बावजूद ढींडसा परिवार ने पार्टी को पीठ दिखा दी। जब पिता व पुत्र दोनों पार्टी से बाहर हो गए हैं, तो अपने ओहदे से इस्तीफा क्यूं नहीं दे रहे? अब ढींडसा ने नई पार्टी का गठन करने के बावजूद ख़ुद को शिरोमणी अकाली दल का प्रधान बताया है और मुफ्त में बधाई लेना शुरु कर दिया है, ऐसा क्यों?

पासपोर्ट जमा करवाने का लिया फ़ैसला
दविंदर सिंह, गांव बीहला के मूल निवासी चंद सिंह (मौजूदा निवासी अमरीका) का इन्कलाबी विचारधारा वाला पढ़ा-लिखा लडक़ा है। उसके पिता फेडरल गवर्नमैंट अमरीका के उच्च अधिकारी पद से सेवामुक्त हैं। माता बलदेव कौर घरेलू महिला है। बताने योग्य है कि दविंदर सिंह के दादा संता सिंह परिवार को लेकर देश की आजादी से पहले ही मलेशिया चले गए थे, परंतु परिवार की संस्कृति के मुताबिक उनकी मौत होने बाद में उनका अंतिम संस्कार जिला के गांव बीहला में ही किया गया था।

दविंदर सिंह बीहला, जिसके पास किसी भी देश अंदर जा कर रहने की मन्जूरी है, परंतु उसने ऐलान किया है कि वह विदेश नहीं जायेगा और अपना पासपोर्ट एंबेसी को जमा करा देगा। उसने विदेश पहुंचने वाले नौजवानों को किसी भी तरह की मुसीबत से बचाने के लिए फेसबुक और संपर्क करने का ऐलान भी किया है।

प्रदेश व संस्कृति को बचाना मुख्य लक्ष्य
दविंदर सिंह बीहला का कहना है कि उसका लक्ष्य किसी राजसी पार्टी के साथ बंधे रहना नहीं और उसका मकसद एमएलए या एमपी या कोई मंत्री बनना भी नहीं, बल्कि समाज की सेवा करने वाली पार्टी के साथ ही जुटे रहना होगा। उसके पास बरनाला शहर में 6 बिसवा जमीन है, जहां वह बेसहारा लोगों के लिए रेनबसेरा का निर्माण करेगा।

बादल परिवार के साथ मीटिंग कर प्रांत के हर जिला के अंदर मल्टी स्पैशलिटी अस्पताल का निर्माण करवाना होगा। गरीबी पर लगाम कसने के लिए फाईनेंशियल रिजर्वेशन को प्रमुखता देना होगा। अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व तले पंजाब फाउंडेशन नाम की समाजसेवी संस्था का गठन करना होगा।

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