हर्षोउल्लास के साथ हुआ बूढ़ी दिवाली का आगाज

चमेल सिंह देसाईक। शिलाई

जिला सिरमौर के गिरिखंड क्षेत्र, जिला शिमला, जिला कुल्लू के निरमंड क्षेत्र व उत्तराखंड प्रदेश के भावर जौनसार क्षेत्र में समृद्ध संस्कृति की परिचायक बूढ़ी दिवाली का आगाज हर्षोउल्लास के साथ शुरू हो गया है। अमावस्या की रात्री को विभिन्न खुंदाें में बसे खशिया समुदाय के लोग पारंपरिक बाध्य यंत्रों के साथ गांव के देवालय आंगन तथा सांझा आंगन में देर रात मशाले लेकर ढोल-नगाड़ों के साथ एकत्रित हुए तथा बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश रात्रि में मशाले जलाकर पारंपरिक लोक गाथाओं के साथ क्षेत्र वासियों को दिया गया है।

प्रशासनिक सूचना के आधार पर क्षेत्र में स्थानीय छूटी रही। क्षेत्रीय लोग अपने अपने गांव में बूढ़ी दिवाली पर्व का आनंद लेते नजर आए पर्व का दूसरा दिन भियूंरी के नाम से मनाया गया है।ऐतिहासिक तौर पर राजा जालंधर, खशिया सामुदाय की लड़की भियूंरी को उठाकर अपने साथ लेकर गया था। दिवाली पर्व के लिए भियूंरी अकेली वापस अपने मायके आ रही थी कि भियूंरी का घोड़ा ढंगार से गिर गया।

इसके बाद बूढ़ी दिवाली के दूसरे दिन भियूंरी को क्षेत्र में याद किया जाता है तथा बिना बाध्य यंत्र के भियूंरी विरह गीत गाया जाता है। पारंपरिक रिवाज के मुताबिक बच्चों व लड़कियों को क्षेत्रीय व्यंजन मुड़ा, शाकुली व अखरोट वितरित किए जाते हैं। अगले 5 दिनों तक क्षेत्र में बूढ़ी दिवाली पर्व की धूम चलती रहेगी, जिसमे हरदिन अलग-अलग पकवान व नाच गाने का दौर चलता रहेगा।