शगुन योजना में बीपीएल परिवरों को न शामिल करने का विरोध जताया

उमेश भारद्वाज। मंडी
हिमाचल प्रदेश सरकार के द्वारा बजट में ‘शगुन योजना’ के तहत सामान्य वर्ग के बीपीएल परिवारों को सम्मलित नहीं करने का विरोध शुरू हो गया है। इसको लेकर प्रदेश सामान्य वर्ग संयुक्त मंच व राजपूत महासभा ने कड़ा विरोध किया है। प्रदेश सरकार द्वारा शगुन योजना के तहत हिमाचल प्रदेश में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के बीपीएल परिवारों की बेटियों को विवाह के समय 31 हजार रुपये का अनुदान दिया जाएगा। अपने संयुक्त वक्तव्य में प्रदेश सामान्य वर्ग संयुक्त मंच के प्रदेशाध्यक्ष तथा राजपूत महासभा हिमाचल प्रदेश के प्रदेश महासचिव केएस जंवाल व प्रदेश के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जितेंद्र वशिष्ठ ने कहा कि संगठन पिछलेे लंबे समय से प्रदेश सरकार से सभी जातियों में समानता,समरसता और आपसी भाईचारा बनाने के लिए तुष्टीकरण की नीति को छोड़कर सभी वर्गों के लिए एक समानता से निर्णय लेने की अपील कर रहे हैं।
मगर सरकार  सामान्य वर्ग की अनदेखी करती जा रही है और लगातार भेदभाव करने पर तुली हुई है। उन्होंने कहा कि इससे सामान्य वर्ग के लोगों विशेषकर युवाओं में सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि संगठनों ने पहले ही सामान्य वर्ग की चीर लंबित समस्याओं के शीघ्र हल एवं स्वर्ण आयोग के शीघ्र गठन करने के लिए प्रदेशव्यापी संघर्ष का बिगुल बजा रखा है और 90 दिन का नोटिस देकर इसी माह की 10,12 से लेकर 23 मार्च तक सभी जिला मुख्यालयों पर 3 घंटे का सांकेतिक धरना व प्रदर्शन करन के उपरांत सरकार को ज्ञापन सौंपने का कार्यक्रम बना रखा है। फिर भी यदि सरकार कोई संज्ञान नहीं लेती है और ऐसा ही रवैया बनाये रखती है तो आने वाले 20 अप्रैल को शिमला में एक बड़ी रैली का आयोजन करने का निर्णय लिया है।

‘शगुन योजना’ के तहत बराबर हो राशि का आबंटन

प्रदेश सामान्य वर्ग संयुक्त मंच के प्रदेशाध्यक्ष तथा राजपूत महासभा हिमाचल प्रदेश के प्रदेश महासचिव केएस जंवाल ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से ‘शगुन योजना’ के तहत राशि को सामान्य वर्ग के बीपीएल परिवारों को भी एक समान आबंटित करने की मांग की है। उन्होंने मुख्यमंत्री से स्वर्ण आयोग का गठन करके उनकी ज्वलंत समस्याओं का शीघ्र समाधान करनेे की मांग भी की है। वहीं उन्होंने कहा कि मांगे नहीं मानने की सूरत में सामान्य वर्ग के लोगों को आने वाले विधानसभा चुनाव में सरकार के विरोध में वोट डालने या नोटा का विकल्प चुनने के लिए विवश होना पड़ेगा।