कई वर्षाें से कागजी फाइलों में सिमटा ममेल का दर्द

पीयूष शर्मा। करसोग

उपमंडल करसोग में आज स्थानीय नगर पंचायत करसोग वार्ड-7 ममेल के ग्रामीण स्थानीय विधायक हीरालाल तथा प्रशासन से अपनी समस्याओं के बारे में दृष्टिगत करवाया। नगर पंचायत करसोग के गठन से लेकर अभी तक ममेल वार्ड के बशिंदे नगर पंचायत में ममेल वार्ड को शामिल करने का विरोध जताते आ रहे हैं तथा उन्हें नगर पंचायत करसोग से बाहर करने के लिए पिछले नगर चुनावों का बहिष्कार करते हुए विरोध का झंडा उठाए हुए थे और आने वाले चुनावों में भी यह जारी रहेगा।

पूर्व कांग्रेसी सरकार के दौरान मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह तथा वर्तमान भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा भी नगर पंचायत से बाहर करने का आश्वासन दिया गया। संबंधित फाईल पर दोनों मुख्यमंत्री ममेल को नगर पंचायत से बाहर करने संबंधी लिखित आदेश भी कर चुके हैं, परंतु संबंधित विभाग ने सालों बीतने बाद भी ममेल वासियों को कागजी औपचारिकता में ही उल्झा कर रखा हुआ है तथा नगर पंचायत से ममेल बाहर नहीं हुआ है, जिसके चलते ममेल वासियों ने अब सरकार को दो टूक सुनाते हुए कहा है की ममेल के लोगों को मांग के अनुसार नगर पंचायत करसोग से बाहर नहीं किया गया, तो आगामी 2020 चुनाव में बहिष्कार का बिगुल बजा दिया जाएगा।

फिर चाहे जो भी भुगतना पड़े। इस बारे ममेल निवासी गोपाल शर्मा, मोहन लाल शर्मा, सुनीता देवी, शीला देवी, पीतांबर व जगेसर महंत आदि ने जानकारी देते हुए बताया कि जिस दिन से नगर पंचायत करसोग का गठन हुआ है, उसी दिन से ममेल निवासी विरोध जताते हुए मांग कर रहे हैं कि उन्हें नगर पंचायत से बाहर किया जाए। क्योंकि ममेल गांव की श्रेणी में आता है तथा अनेकों निर्धन परिवार नगर पंचायत की शर्तों को तथा उसके खर्च को उठाने के लिए सक्षम नहीं है तथा सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ममेल के लोग नगर पंचायत वाली छत के नीचे आना ही नहीं चाहते हैं। क्योंकि ममेल का क्षेत्र कभी भी करसोग में नहीं आता है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि ममेल इससे पूर्व ग्राम पंचायत भनेरा में आता था तथा यह क्षेत्र कजौंन में पड़ता है, जबकि करसोग का क्षेत्र भी अलग बिऊंश में आता है।इसलिए शहरी निकाय के लिए ग्रामीण क्षेत्र ममेल के गांव को नगर पंचायत में शामिल न किया जाए। क्योंकि ममेल ग्राम वासियों का कोई सरोकार आज तक करसोग पंचायत के साथ नहीं रहा है, जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री भी स्पष्ट कह चुके हैं कि जो लोग नगर पंचायत में नहीं आना चाहते हैं, उन्हें बाहर किया जाएगा। बावजूद इसके ममेल वासियों की बात को आश्वासन के सिवाय कुछ भी महत्त्व नहीं दिया जा रहा।

बताया गया कि ममेल के लोग पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पास इस मांग को लेकर पहुंचे, तो उन्होंने ममेल को नगर पंचायत से बाहर किए जाने संबंधी आदेश किए जिनको सरकारी कान ने सुना नहीं और कोई गौर नहीं हुआ, जबकि वर्तमान भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के पास भी ममेल के लोग गुहार लगा चुके हैं कि उन्हें नगर पंचायत से बाहर किया जाए, जिसके चलते मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी उनकी इस मांग पर अपनी स्वीकृति वाली मोहर लगाते हुए फाईल पर स्पष्ट लिखा है कि नगर पंचायत के दायरे से ममेल को मांग के अनुसार बाहर किया जाए, परंतु सरकारी अधिकारी उस पर कोई गौर फरमाने को तैयार ही नहीं है।

उन्होंने कहा कि हाल ही में ममेल से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के पास पहुंचे प्रतिनिधिमंडल के सामने स्थानीय विधायक हीरालाल भी अनापत्ति प्रमाण पत्र देते हुए सहमति जता चुके हैं कि में ममेल को नगर पंचायत करसोग से बाहर कर दिया जाए, परंतु सरकारी कागज ममेल के लोगों को कोई सहयोग नहीं दे रहे हैं। इतनी मशक्कत करने के बावजूद भी आम जनता की नहीं सुनी गई, तो भविष्य में नगर पंचायत के चुनाव का भी बहिष्कार जारी रखेंगे।

स्थानीय लोग बार-बार आग्रह कर रहे हैं कि नगर पंचायत के वार्ड-7 ममेल को नगर पंचायत करसोग से हटाकर पुनः ग्राम पंचायत ममेल/सानना में मिलाया जाए। क्योंकि ग्राम पंचायत ममेल के तीनों वार्ड को बिना ग्राम पंचायत से पारित व गैर कानूनी प्रक्रिया के अमल में लाते हुए नगर पंचायत करसोग में शामिल किया गया है।