कोरोना की संभावित तीसरी लहर से जंग के लिए पराशर ने गठित की 36 सदस्यीय टीम

खतरे को देखते हुए बारह स्थानों से जसवां-परागपुर क्षेत्र में ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर की व्यवस्था

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

कोरोना संक्रमण के नए वैरिएंट ओमीक्रॉन का तीसरी लहर के रूप में खतरा मंडरा रहा है। संभावित खतरे को लेकर हर किसी की बैचेनी बढ़ बई है। प्रदेश व जिला में भी फिर से कोरोना संक्रमण के मामलों में वृद्धि दर्ज होने लगी है। इसी बीच इस लहर से निपटने के लिए कैप्टन संजय ने भी कमर कस ली है और क्षेत्रवासियों को हर संभव सहायता व सहयोग का भरोसा दिया है। तीसरी लहर की जंग को जीतने में कोई कसर बाकि न रहे, इसके लिए पराशर द्वारा 36 सदस्यीय टीम का गठन किया है और जरूरत पड़ने पर जसवां-परागपुर क्षेत्र के 12 स्थानों से ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर पहुंचाने की व्यवस्था कर दी है। इसके अलावा पराशर की टीम के 400 वॉलियंटर्स भी मदद को तैयार रहेंगे।

दरअसल ओमीक्रॉन का खतरा बढ़ता दिख रहा है। फिलहाल जसवां-परागपुर व आसपास के क्षेत्रों में स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन पिछले वर्ष कोरोना की दूसरी लहर में अचानक से इतने मामले बढ़ गए थे कि हालात बेकाबू हो गए। उस दौरान इस क्षेत्र में कई अूमूल्य जिदंगियों को कोरोना लील गया था। उस वक्त कैप्टन संजय कोरोना की लड़ाई में महायोद्धा के रूप पर नजर आए थे। पराशर ने स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन को कारोड़ों रूपए की दवाईयां, मेडीकल उपकरण और ऑक्सीजन सिलेंडर व कंस्ट्रेटर उपलब्ध करवाने के अलावा कोरोना संक्रमित मरीजों काे इम्यूनिटी बूस्टर, फल, काढ़ा व समाचारपत्र घराें तक पहुंचाने की व्यवस्था की थी। उस वक्त जब मरीज मानसिक तनाव व अवसाद से भी ग्रसित हो रहे थे, तब पराशर कोरोना संक्रमितों के घर-घर तक पहुुंचे थे।

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यह भी सच है कि पराशर ने समय रहते कई मरीजों के घर पर ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर पहुंचाकर उनकी जिदंगी की सांसों की डोर को बांधे रखा। बावजूद संजय को मलाल है कि जो अपने कोरोना की दूसरी जंग में हार गए थे, उनके लिए और प्रयास किए होते तो शायद वे हम सब के बीच होते। अब इसी अनुभव के आधार पर कैप्टन संजय तीसरी संभावित लहर को लेकर अपने स्तर पर तैयारी करने का निर्णय लिया है। 36 सदस्यों की टीम पूरे हालात पर नजर रखेगी। टीम के सदस्यों का चयन जसवां-परागपुर क्षेत्र के चार भागाें के आधार पर किया गया है। पुननी से बगली, चलाली से न्याड़, बठरा से बाड़ी और घमरूर से लेकर हलेड़ तक की पंचायतों में टीम के नौ-नौ सदस्य मौजूद रहेंगे और आपातकाल में संसाधनों को पहुंचाने की व्यवस्था करेंगे।

इन्हीं क्षेत्रों में वॉलियंटर्स भी अपनी सेवाएं देगें। वहीं, कैप्टन संजय ने कहा कि तीसरी लहर की आशंका व तमाम परिस्थितयों को ध्यान में रखते हुए तैयािरयों का खाका तैयार कर लिया है और टीमें भी गठित की जा चुकी हैं। चूंकि उनकी एक विशेष टीम पिछले वर्ष मई से ही कोरोना संक्रमित व हृदय रोगियों के घर तक दो घंटे के भीतर ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर पहुंचा रही है, तो भविष्य में भी यह व्यवस्था यूं ही बनी रहेगी। साथ में नए वैरिएंट ओमीक्रॉन के संभावित खतरे को देखते हुए 436 टीम सदस्य हर कोरोना संक्रमित की जान को बचाने के लिए जी जान की बाजी लगा देंगे।