धर्मशाला में गरजे पटवारी-कानूनगो

उज्ज्वल हिमाचल। धर्मशाला

संयुक्त पटवार एवं कानूनगो महासंघ जिला कांगड़ा की ओर से गुरुवार को प्रदेशाध्यक्ष सतीश चौधरी की अगुवाई में उपायुक्त कांगड़ा निपुण जिंदल के माध्यम से राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला व मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को ज्ञापन भेजा गया। इस अवसर पर जिला भर से चयनित जिला व तहसील स्तरीय पदाधिकारियों ने भाग लिया। इससे पहले 27-28-29 सितंबर को प्रदेश भर में एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजे गए। इसी कड़ी के दूसरे चरण में चार अक्टूबर को प्रदेश के छह जिलों में उपायुक्तों के माध्यम से ज्ञापन भेजे गए। शेष जिलों ने गुरुवार को ज्ञापन भेजे।ज्ञापन में

संशोधन के माध्यम से लोगों को मिले समय पर सुविधा

महासंघ की ओर से आग्रह किया गया है कि इस संशोधन के माध्यम से लोगों को समय पर सुविधा मिले, इसका महासंघ स्वागत करता है, मगर यह केवल कानून बनाने से नहीं होगा, अपितु धरातल पर आवश्यक सुधार करने से होगा । वर्तमान समय में पटवारी, कानूनगो, नायब तहसीलदार व तहसीलदार स्तर तक के लगभग 25 से 70 % पद खाली चल रहे हैं | इसके अलावा पटवारी, कानूनगो को अपने राजस्व कार्य करने का तो समय ही नहीं मिल पाता |

इन विभिन्न प्रकार की रिपोर्ट तैयार करने में आधा समय बीत जाता

हर रोज विभिन्न प्रकार के प्रमाण पत्रों की रिपोर्ट तैयार करने में आधा दिन बीत जाता है, जो किसी अधिकारी की गिनती में नहीं आता। एक दिन में 50 से लेकर 100 तक प्रमाण पत्र एक पटवारी के पास बनते हैं। साथ ही फ़ोन द्वारा विभिन्न -2 सूचनाओं को तैयार करके भेजना, पीएम किसान सम्मान से जुड़े काम, स्वामित्व योजना, 1100 सीएम सकंल्प शिकायत विवरणी के निपटारे, राहत कार्य, फसल गिरदावरी, निर्वाचन कार्य के अलावा बीएलओ व सुपरवाइजर के काम, लोक निर्माण, वन, खनन, उद्योग आदि अनेकों परियोजनाओं के मौका कार्य एवं संयुक्त निरीक्षण शामिल है। साथ ही इंतकाल दर्ज करना, उच्च अधिकारियों तथा माननीयों के भ्रमण में हाजिर होना, विभिन्न न्यायालयों में पेशियों व रिकॉर्ड पेश करने बारे हाजिर होना, राजस्व अभिलेख को अपडेट करना, कार्य कृषि गणना, लघु सिंचाई गणना, धारा 163 के तहत मिसल कब्जा नाजायज तैयार करना, जमाबंदी की नकलें सत्यापित करना शामिल है।

काम की लिमिट तय करने का बिल भी लाए सरकार

पटवारी-कानूनगो एक दिन में कौन-कौन से काम कितनी मात्रा में करेगा, इस बारे में भी एक बिल लाने की कृपा करे, ताकि समय सीमा में लोगों के काम हो सकें। पटवारी -कानूनगो पर अनावश्यक रूप से इतने काम थोप दिए हैं, जिनका मैन्युअल में तय कामों से दूर दूर तक वास्ता नहीं है।

आंदोलन से नहीं होगा कोई गुरेज

महासंघ चाहता है कि संशोधित बिल को लागू करने से पहले एक बार राज्य कार्यकारिणी के साथ बैठक करने की कृपा करे।महासंघ यह भी कहना चाहेगा कि यदि कार्यकारिणी के साथ चर्चा किए बिना इसको थोपने की कोशिश की गई तो महासंघ किसी भी प्रकार का आंदोलन करने पर विवश होगा।

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कांगड़ा में बंदोबस्त की बहुत जरूरत

जिला कांगड़ा में बंदोबस्त हुए 50 साल से लंबा अरसा बीत चुका है और बंदोबस्त न होने के चलते भी जमीनी विवाद बढ़ते चले जा रहे हैं। और तो और कई जगह तो लट्ठे खस्ताहाल हो चुके हैं। हालांकि नियमों के मुताबिक बंदोबस्त 40 साल के बाद होना जरूरी है।

मानसिक तनाव व दबाव से गुजर रहे कर्मचारी

मनोचिकित्सकों की मानें तो आज के दौर में मोबाइल फोन व लैपटॉप पर अत्यधिक कार्य से मानसिक तनाव व दबाव बढ़ गया है, जिससे सेहत पर विपरीत असर देखने को मिल रहा है। हालांकि इस तरह के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है। कर्मचारी वर्ग भी इससे अछूता नहीं रहा है।

हड़ताल पर जाने से लगेगी सरकार को चपत

प्रदेश सरकार का खजाना भरने वाले राजस्व महकमे के आंदोलन करने से जहां सरकार को करोड़ों की चपत लगेगी, वहीं आम जनता के रोजमर्रा के कार्य प्रभावित होंगे। हालांकि दूसरी तरफ पंचायत के कर्मचारी भी इन दिनों हड़ताल पर बैठे हुए हैं।

ब्यूरो रिपोर्ट धर्मशाला

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