नियति के भरोसे नहीं रहेगी अब जसवां-परागपुर क्षेत्र की जनताः संजय पराशर

People of Jaswan-Pragpur area will not depend on destiny: Sanjay Parashar
नियति के भरोसे नहीं रहेगी अब जसवां-परागपुर क्षेत्र की जनताः संजय पराशर

जसवां-परागपुरः संजय पराशर ने कहा है कि पिछले 25 वर्ष से जसवां-परागपुर क्षेत्र की जनता को उनके हाल पर छोड़ दिया गया, लेकिन अब क्षेत्र का आमजनमानस नियति के भरोसे नहीं रहेगा। धारणाओं को बदलकर समस्याओं का स्थाई समाधान किया जाएगा और क्षेत्रवासियों के जीवन को सुगम बनाया जाएगा।

क्षेत्र के चौलीए घमरूर और भरोली जदीद पंचायतों में आयोजित जनसंवाद कार्यक्रमों में पराशर ने कहा कि जसवां-परागपुर क्षेत्र के विकास की गौरव यात्रा का नया अध्याय लिखने के लिए ही वह राजनीतिक सफर शुरू करने जा रहे हैं। कहा कि वह शुक्रवार को बतौर निर्दलीय प्रत्याशी नामांकन पत्र भरने जा रहे हैं।

पराशर ने कहा कि विकास एक निरंतर प्रक्रिया होती है, लेकिन जसवां-परागपुर क्षेत्र में दोनों प्रमुख दलों के नेता पिछले अगर सच में ये नेता क्षेत्र में विकास के हिमायती होते तो क्षेत्र की जनता की आवाज उठाने के लिए संघर्ष करते, लेकिन दोनों ही दलों की दिलचस्पी चुनाव के इंतजार तक सीमित रही। कहा कि इस बार भी हालातों में कोई अंतर नहीं आया है और चुनावी मौसम में एक बार फिर से जनता को भ्रम में डालने के असफल प्रयास फिर से शुरू किए जा चुके हैं।

25 वर्ष से सियासत में बहानेबाजी से ही काम चलाते रहे। कभी चुनाव में हार जाने का बहाना तो कभी विधानसभा में विपक्ष के बेंच पर बैठने का हवाला देकर खुद को बेकसूर बताने की कोशिश करते रहे। बावजूद सच यह है कि अढ़ाई दशक की राजनीति में ये लोग जसवां-परागपुर क्षेत्र के विकास को लेकर मूकदर्शक की भूमिका में रहे और विधानसभा चुनाव हारने के बाद जब इनकी सरकार बनी तब भी खुद किसी बोर्ड या निगम का पद लेकर अपने ही हितों की रक्षा करते रहे।

संजय ने कहा कि पिछली बार विधानसभा चुनाव में क्षेत्र की जनता सत्ता के साथ तो चली, लेकिन मंत्रीमंडल में स्थान मिलने के बावजूद क्षेत्र शिक्षा, रोजगार व स्वास्थ्य के क्षेत्र में बुरी तरह से पिछड़ गया। कहा कि अगर सच में ये नेता क्षेत्र में विकास के हिमायती होते तो क्षेत्र की जनता की आवाज उठाने के लिए संघर्ष करते, लेकिन दोनों ही दलों की दिलचस्पी चुनाव के इंतजार तक सीमित रही।

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कहा कि इस बार भी हालातों में कोई अंतर नहीं आया है और चुनावी मौसम में एक बार फिर से जनता को भ्रम में डालने के असफल प्रयास फिर से शुरू किए जा चुके हैं। पराशर ने पूछा कि क्षेत्र का जनप्रतिनिधित्व करने वालों ने जसवां-परागपुर क्षेत्र में कितने उद्योग स्थापित किए और इन उद्योगों में स्थानीय युवाओं को कितना रोजगार मिला। कहा कि शिक्षा का हाल यह रहा कि प्रारंभिक शिक्षा स्तर से लेकर महाविद्यालयों में शिक्षकों के पद रिक्त रहे।

इससे कोरोनाकाल में पहले से ही प्रभावित हो रही पढ़ाई का बच्चों की शिक्षा पर नकारात्क असर पड़ा। कहा कि कोरोना शुरू होने के बाद कई युवाओं को रोजगार से हाथ धोना पड़ा और वे विभिन्न शहरों व कस्बों से नौकरी छोड़कर घर बैठने को मजबूर हो गए। हालात यह हैं कि अब स्थिति में कोई खास सुधार देखने को नहीं मिला है और कई बेरोजगार युवा काम की तलाश में भटक रहे हैं। स्वास्थ्य सेवाएं राम भरोसे चल रही हैं।

पराशर ने कहा कि वह जसवां-परागपुर को हर क्षेत्र में शिखर पर ले जाना चाहते हैं और गरीबोें के लिए मकान, प्राथमिक व उच्च शिक्षा के उत्थान और सुदूर गांवों में बेहतर रोड़ कनेक्टिविटी पर काम करना चाहते हैं। इसके साथ ही युवाओं व महिलाओं के लिए रोजगार व स्वरोजगार के अनगिनत अवसर उपलब्ध करवाएंगे।
जसवां-परागपुर ब्यूरो।