कोरोना के इलाज में लाल चींटी की चटनी देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका, जानें पूरा ममला

उज्जवल हिमाचल डेस्क…

कोरोना के उपचार के लिए लोगों द्वारा कई घरेलू नूस्कें अपनाए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इन उपचारों पर रोक लग दी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह पारंपरिक ज्ञान या घरेलू उपचार को पूरे देश के लिए कोरोना के इलाज के रूप में इस्तेमाल करने का निर्देश नहीं दे सकता है। इसके साथ ही सर्वोच्‍च अदालत ने कोरोना के इलाज के रूप में लाल चींटी की चटनी के उपयोग के लिए निर्देश देने की मांग संबंधी याचिका खारिज कर दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि पारंपरिक ज्ञान बहुत हैं।

ये उपाय आप याचिकाकर्ता स्वयं के उपभोग के लिए आजमा सकते हैं लेकिन हम इस पारंपरिक ज्ञान को देश भर में लागू करने के लिए नहीं कह सकते हैं। इस टिप्‍पणी के साथ ही जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस विक्रम नाथ और हेमा कोहली की पीठ ने ओडिशा के आदिवासी समुदाय के सदस्य याचिकाकर्ता नयाधर पधियाल को कोविड-19 रोधी वैक्‍सीन लगवाने की सलाह दी। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता अनिरुद्ध संगनेरिया ने कहा कि चूंकि ओडिशा हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है इसलिए उन्‍होंने आदेश को चुनौती दी है।

इस पर सर्वोच्‍च अदालत ने कहा कि समस्या तब शुरू हुई जब ओडिशा उच्च न्यायालय ने आयुष मंत्रालय के महानिदेशक और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद सीएसआईआर को तीन महीने के भीतर लाल चींटी की चटनी को कोविड-19 के उपचार के लिए इसके इस्‍तेमाल के प्रस्ताव पर निर्णय लेने का निर्देश दिया। हम इसे तुरंत खत्म कर रहे हैं। हम संविधान के अनुच्छेद-136 के तहत विशेष अनुमति याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं इसलिए यह याचिका खारिज की जाती है।