दिन-रात कार्य करने से डॉक्टरों की मानसिक व शारीरिक क्षमता हो रही प्रभावित

उज्ज्वल हिमाचल। नूरपुर

नुरपुर हिमाचल प्रदेश के गंगथ सीएचसी को वर्ष 2020 में सिविल अस्पताल का दर्जा मिलने के बाद 50 बेड का कर दिया गया था। लोगों की अपेक्षा थी कि यहां स्वास्थ्य सेवाएं और सुदृढ होंगी व अतिरिक्त स्टाफ आने से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध होगी। 6 डॉक्टरों की पोस्ट होने के बाबजूद स्टाफ सिविल अस्पताल में मात्र अव दो डॉक्टर ही रह गये है। आनन फानन में प्रदेश सरकार के हाल में लिए गए निर्णय से डॉक्टरों के डेपुटेशन कैंसिल करने का असर गंगथ सिविल अस्पताल की कार्यक्षमता प्रभावित हुई है।

कुछ समय पूर्व यहां चार डॉक्टर कार्यरत थे। एक डॉक्टर के पीजीआई पर जाने व दूसरे डॉक्टर के डेपुटेशन कैंसिल होने से हॉस्पिटल का जिम्मा वर्तमान में दो महिला डॉक्टरों के कंधे पर ही रह गया है। वही दिन-रात ड्यूटी करने से डॉक्टरों को अतिरिक्त तनाव व दबाव का कार्य करने का मजबूर होना पड़ रहा है। गौरतलब है कि इस कथित सिविल अस्पताल पर गंगथ, रप्पड़, भलाख, डागला, अनोह, चूरूड़ी, घेटा, डागला सहित अनेक पंचायतों के लोग उपचार हेतु इस अस्पताल पर आश्रित हैं। गंगथ के पंचायत प्रधान सुरिंदर भल्ला, भलाख पंचायत के प्रधान झंडू राम, रप्पड़ पंचायत के प्रधान शारदा देवी, अटाहड़ा पंचायत के प्रधान रशपाल पठानिया आदि ने प्रदेश सरकार व स्वास्थ्य विभाग से मांग की है कि गंगथ अस्पताल में डॉक्टरों के पद शीघ्र भरे जाए।

प्रदेश सरकार जल्द से स्वास्थ्य संस्थानों में रिक्त पड़े पदों को भरे। इस मामले में डा सन्नी धीमान जिला अध्यक्ष डॉक्टर एसोसिएशन डॉक्टर एसोसिएशन कांगड़ा नूरपुर ब्लॉक के गंगथ में 4 पद रिक्त है वही अन्य तीन पीएचसी में 3 डॉक्टरों के पद खाली है। दिन रात कार्य करने से डॉक्टरों के मानसिक व शारीरिक क्षमता प्रभावित हो रही है। इस मामले में कांग्रेस पार्टी के विधायक मले नगर राजन इनदौरा ने बताया कि गंगथ हस्पताल में रिक्त चल रहे पदों को शीघ्र भरने का प्रयास किया जाएगा। प्रदेश सरकार लोगों को उचित स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए वचनबद्ध है।

संवाददाताः विनय महाजन

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