पीर स्थान ऐतिहासिक लोहड़ी मेले को लगी काेरोना की नजर

सुरिंद्र सिंह साेनी। नालागढ़

नालागढ़ का ऐतिहासिक पिरस्थान मेला हंडूर रियासत के राजा राम चरण के समय से करीब 300 वर्ष पूर्व शुरू हुआ था और इस मेले को बड़े धूमधाम से हर वर्ष मनाया जाता था, लेकिन ऐतिहासिक पीर स्थान लोहड़ी मेले को काेरोना के चलते बंदिशों के साथ शुरू किया गया है और सिर्फ लेकिन इस बार कॉरोना के चलते पिरस्थान मेले में ऐतिहासिक रसमें ही छोटे स्तर पर अदा की जाएगी। ऐतिहासिक लोहड़ी मेले के पहले दिन लोहड़ी पर प्रशासन द्वारा जारी किए गए कोरोना प्रोटोकॉल के तहत महिलाओं सहित लोगों ने लखदाता पीर की दरगाह पर शीश नवाया और परिवार की सुख समृद्धि की कामना की, मगर कोरोना के चलते दुकानदारों और झूला मालिकों को खासा नुकसान झेलना पड़ रहा है, क्योंकि पिछले वर्ष भी काेरोना के चलते दुकानदारों को काफी नुकसान झेलना पड़ा था। जानकारी के अनुसार नालागढ़ बद्दी एनएच-105 मार्ग पर पीरस्थान में होता है।

मेले का शुभारंभ लोहड़ी पर्व के दिन होता है और पीर स्थान स्थित लखदाता लाला वाले पीर की प्राचीन दरगाह पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु शीश नवाने यह आते हैं। लखदाता पीर के नाम से ही स्थान का नाम पीरस्थान पड़ा है और यह मेला दून वह नालागढ़ विस क्षेत्र का सबसे बड़ा मेला होता है और इस मेले में पंजाब हरियाणा चंडीगढ़ आदि के लोग यहां आते हैं। मेले का पहला दिन छेत्र की महिलाओं बच्चों व परिवार की तंदुरुस्ती का होता है और यहां लोग दरगाह में माथा टेककर तंदुरुस्ती की कामना करते हैं तथा प्रसाद के रूप में यहां चूरमा मीठी रोटी बांटी जाती है।

यह भी देखें : सरकार ने ट्रक ऑपरेटरों को दी बड़ी राहत…

जानकारी देते हुए पुर्व प्रधान गुरपाल सिंने बताया की मेले पर प्रशासन की ओर से सख्त पाबंदी लगी हुई है, लेकिन काफी सदियों से पीर का स्थान का मेला लगाया जाता है, जिस पर लोगों की आस्था भी जुड़ी है और वहीं, कोविड को मद्देनजर रखते हुए पंचायत द्वारा पुख्ता प्रबंध किए गए हैं और सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है।