उज्जवल हिमाचल। बैजनाथ
ऐतिहासिक शिव मंदिर बैजनाथ में मकर संक्रांति के अवसर पर भगवान शिव तथा मां पार्वती के अर्धनारीश्वर की पावन पिंडी पर सवा दो क्विंटल शुद्ध घी का माखन बनाकर शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है। जिसके लिए मंदिर कमेटी द्वारा तैयारियां शुरू कर दी गई है। मंदिर में मक्खन बनाने की प्रक्रिया 13 जनवरी तक चलती रहेगी तथा 14 जनवरी को सांय कालीन आरती के पश्चात घृत मंडल शिवलिंग पर चढ़ाया जाएगा।
जो 20 जनवरी तक शिवलिंग पर चढ़ा रहेगा। इस घृत मंडल को तैयार करनेे के सूखे मेवे तथा फलों का उपयोग किया जाएगा। 21 जनवरी को इस घृत मंडल को प्रातःकालीन आरती के बाद शिवलिंग से हटाकर प्रसाद केेे रूप में श्रद्धालुओं को बांटा जाएगा। जिसे लोग संभाल कर रखते हैं तथा इसका उपयोग चर्म रोग को ठीक करने केे लिए करतेे है। मंदिर गर्भ की सजावट प्राकृतिक फूलों व लाइटों से की जाएगी।
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ऐसी है मान्यता
मकर सक्रांति पर देशी घी का लेप किए जाने को लेकर अलग अलग कथाएं प्रचलित हैं। कुछ की माने तो सात दिन तक पवित्र शिवलिंग पर लेप होने व 108 बार ठंडे पानी से धोने तथा मेवों के साथ रहने के कारण से यह घी औषधी का रुप धारण कर लेता है और चर्म रोगों के निवारण के लिए सहायक रहता है। वहीं कुछ चिकित्सकों का मानना है कि यह माखन बतौर मॉइश्चराइजर के काम आता है चर्म रोगों पर लगाना केवल भगवान के प्रति आस्था है।
मंदिर पुजारी सुरिंद्र आचार्य के अनुसार मंडी रियासत के राजा चंद्र सेन ने भगवान शिव के दर्शन किए और उनके मन में शिव लिंग को मंडी ले जाने की इच्छा पैदा हुई। राजा चंद्रसेन ने इच्छापूर्ति के लिए भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया और इस दौरान राजा अचेत हो गए।
अचेत स्थिती में राजा को सपना आया कि ऐसा करने पर उसकी रियासत का विनाश हो जाएगा। इसका प्रायश्चित करने के लिए राजा ने हर वर्ष एक मन घी से लेप करने का वचन दिया। राजा के न रहने पर स्थानीय लोग दो तीन किलो घी से लेप करने लगे और वर्तमान में यह क्विंटलों तक पहुंच गया है।