सरकार पर बढ़ने लगा दबाव, देश भर में उठने लगी मांग

उज्जवल हिमाचल। नई दिल्ली

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर बेकाबू रफ्तार से चल रही है। देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के साढ़े तीन लाख से अधिक मामले सामने आए हैं। ये आंकड़ा करीब 50 देशों में एक दिन में मिले मामलों से भी ज्यादा है। दूसरी लहर में तेजी से फैल रहे संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए देशभर में लॉकडाउन की मांग की जा रही है। कोरोना की दूसरी लहर पर जल्द से जल्द नियंत्रण के लिए एक बार फिर से संपूर्ण लाकडाउन लगाने की जरूरत पर बहस छिड़ गई है।

आइए जानते हैं देशभर में लॉकडाउन की मांग को लेकर किसने क्या-क्या कहा है। लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था किस तरह चरमराती है यह देश देख चुका है, लेकिन इस बार उद्योग जगत की तरफ से ही इसकी मांग की जाने लगी है। देश के सबसे बड़े उद्योग चैंबर सीआइआई ने भी सरकार से आग्रह किया है कि वह देश में आम लोगों के कष्ट को कम करने के लिए व्यापक स्तर पर आर्थिक गतिविधियों को सीमित करने का कदम उठाए। देश के छोटे व्यापारियों व खुदरा कारोबारियों का संगठन सीएआईटी पहले से ही लॉकडाउन का समर्थन कर चुका है।

कन्फेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने अपनी तरफ से कराए एक सर्वे में दावा किया है कि 67.5 फीसद लोगों ने राष्ट्रीय स्तर पर उसी तरह लॉकडाउन लगाने की वकालत की है, जैसा पिछले वर्ष लगा था। लोगों का मानना है कि इसके बिना कोरोना को नहीं रोका जा सकेगा। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया व राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि सर्वे में दिल्ली और देश के 9,117 लोगों ने अपनी राय जाहिर की है। 78.2 फीसद लोगों ने कहा है कि कोरोना देश में बेकाबू हो गया है। 67.5 फीसद लोगों ने देश भर में एक साथ लॉकडाउन लगाने की वकालत की है।

73.7 फीसद लोगों ने माना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना महामारी से निपटने में सक्षम हैं, वहीं 82.6 फीसद लोगों ने किसी एक केंद्रीय मंत्री को दिल्ली का प्रभारी मंत्री मनोनीत कर कोरोना से निपटने का सुझाव दिया खंडेलवाल ने कहा कि देश भर में कोरोना से रोजाना चार लाख से अधिक लोग संक्रमित हो रहे हैं और इस अनुपात में चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध नहीं है, जिसको तुरंत चुस्त-दुरुस्त करना जरूरी है। ऐसे में अब राष्ट्रीय लॉकडाउन ही एकमात्र विकल्प है, जिससे कोरोना महामारी को बढ़ने से रोका जा सकता है।

पिछली बार जब कोरोना वायरस ने देश में तेजी से पैर फैलाने शुरू किए थे तो सरकार की तरफ से लाकडाउन के फैसले की कड़ी आलोचना हुई थी। लेकिन इस बार बाहर से ही सरकार पर दबाव बढ़ाया जाने लगा है। इससे सरकार पर लॉकडाउन पर विचार करने का दबाव बढ़ रहा है। हालांकि, पीएम मोदी से लेकर सरकार की ओर से सभी राज्यों से लॉकडाउन से बचने की सलाह दी गई है। वैसे केंद्र सरकार का अभी तक लॉकडाउन करने का विचार नहीं है। पिछले महीने के शुरुआत में जब कोरोना की दूसरी लहर पूरे देश को तेजी से चपेट में ले रही थी, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में भी कहा था कि लॉकडाउन अंतिम विकल्प होना चाहिए।