मंडी जिला के चरखड़ी में खुदाई कार्य में मिले शिव मंदिर के अवशेष

उमेश भारद्वाज। मंडी

हिमाचल प्रदेश व देश के गांव-गांव में प्राचीन काल से ही शिव पूजा की परंपरा रही है। यही कारण है कि प्रत्येक गांव में सूर्य मंदिर बने हैं। कालांतर में अनेक स्थानों पर रख-रखाव न होने, “सिंघों के संघयाड़े” और प्राकृतिक आपदा के कारण नष्ट होकर भूमि में समा चुके हैं। प्राचीनकाल में सुकेत रियासत का पांगणा क्षेत्र विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। पांगणा की पश्चिम दिशा में रियासती दौर के पांगणा-सुंदरनगर पैदल पथ पर चरखड़ी गांव को शिव ने अपनी दिव्य भूमि से शोभित किया। रियासती दौर में यह गांव राजाश्रय में गृह निर्माण के निपुण विश्वकर्मा बढ़ई और शिल्पकार लोगों के करण विख्यात रहा है।

कुछ वर्ष पूर्व नए चरखड़ी बाजार की टेकड़ी पर स्थित कुठेड़ में टावर निर्माण के लिए विशाल गड्ढा खोदते समय मूर्तियां निकली। एक बार फिर से मंगलवार को प्राचीन चरखड़ी गांव में सतीमाता मंदिर से लगभग 100 मीटर की दूरी पर खुदाई का कार्य करते समय लघु शिवलिंग, शिव-पार्वती का नंदी पर आरुढ श्री विग्रह,शिवजी के स्थानक रुप, कलात्मक स्तम्भ, अनेक आमलको सहित कलात्मक बेल-बूटों व बरसेले वाली लघु मूर्तियां प्रकट हुई हैं। यहां कभी अद्भुत कलात्मकता वाला मंदिर रहा है।

यहां पर रहने वाले तरखान जाति के परिवारों के साथ जब अनिष्ट घटनाएं घटने लगी, अनथक परिश्रम के बाद भी कृषि-बागबानी में लाभ न होना,पशुओं की बीमारी, घी-दूध की कमी होने लगी,बड़े अनेक बीमारियों से तो बच्चे बाल ग्रह से पीड़ित रहने लगे लोगों ने क्षेत्र के देवी-देवताओं के मंदिरों में फरियाद कर देव कोप का कारण जाना। देवताओं ने देववाणी के द्वारा देवगूरो के माध्यम से समाधान बताया कि यदि गांव में पूर्वजों द्वारा स्थापित शिव विग्रह के लिए देवालय का निर्माण किया जाए तो गांव देवकोप से मुक्त हो जाएगा।

गांव वासियों ने सामुदायिक आधार पर मंदिर के लिए जमीन की खुदाई शुरू की।देखते ही देखते इस स्थान से शिव मंदिर के पुरावशेष,प्रस्तर प्रतिमाएं निकलने लगी। पुरावशेषों के मिलने के बाद विगत अढ़ाई तीन महीनों से गांव वासी स्वयं को देव दोष मुक्त मान कर प्रसन्न हैं। पूर्व पंचायत सदस्या व वर्तमान में बाढु-रोहाड़ा पंचायत की वार्ड सदस्या प्रोमिला देवी,युवा समाज सेवी फकीर चंद का कहना है कि गांववासी प्राचीन मंदिर की वास्तुकला पर आधारित मंदिर का निर्माण करना चाहते है।

पुरातत्व चेतना संघ मंडी द्वारा चंद्रमणी कश्यप राज्य पुरातत्व चेतना पुरस्कार से सम्मानित डाक्टर जगदीश शर्मा,सुकेत संस्कृति साहित्य एवं जन कल्याण मंच पांगणा का कहना है कि इस बहुमूल्य विरासत का पुरातात्विक दृष्टि से निर्माण करने के लिए भाषा कला संस्कृति विभाग को गांव वासियों का सहयोग करने के लिए आगे आना चाहिए। ताकि इस विरासत के मौलिक स्वरूप को नष्ट होने से बचाकर भावी पीढ़ी को संरक्षित ढंग से सौपा जा सके।