पूर्व सरकार के अंतिम छः महीनों के फैसलों की समीक्षा करना सुक्खू सरकार का सराहनीय कदमः वीरेंद्र चौहान

Reviewing the decisions of the last six months of the previous government is a commendable step of the Sukhwinder Singh Sukhu government: Virendra Chauhan
पूर्व सरकार के अंतिम छः महीनों के फैसलों की समीक्षा करना सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार का सराहनीय कदमः वीरेंद्र चौहान

उज्जवल हिमाचल। शिमला
हिमाचल प्रदेश सयुंक्त कर्मचारी महासंघ एवं हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा है कि सरकार द्वारा पूर्व सरकार के छः महीनों के निर्णयों की समीक्षा करना जनहित एवं कर्मचारी हित में लिया गया सराहनीय कदम है, जिसकी संघ सराहना करता है।

चौहान ने कहा कि भाजपा सरकार ने अंतिम 6 महीनों में बिना किसी बजट का प्रावधान किए राजनीतिक फायदा लेने के लिए धड़ल्ले से संस्थानों व कार्यालयों को खोलने व स्थानांतरण अंतर करने का बिना सोचे समझे काम किया। जिसमें ना तो किसी तरह की व्यवस्था को तैयार किया गया और ना ही बजट का प्रावधान किया गया।

जिससे ना तो पहले से कार्यरत संस्थान सही तरीके से काम कर पाए और ना ही नए खोले गए कार्यालय एवं संस्थानों को सही तरीके से चलाया जा सका। इससे एक और जहां कर्मचारी पशोपस्त की स्थिति में रहा, वहीं सरकारी कार्य भी बाधित रहे। जिससे आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ा।

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चौहान ने कहा कि सरकार ने अनगिनत ऐसे शिक्षण संस्थानों को खोला व स्त्रोन्नत किए जिसका कोई औचित्य नहीं था। लेकिन वहां पर ना तो इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रावधान किया गया और ना ही स्टाफ की व्यवस्था की गई। दिखावा करने के लिए कुछ शिक्षकों का स्थानांतरण कर इन संस्थानों को चलाने का प्रयास तो किया गया, लेकिन पहले से चल रहे शिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे बच्चों को भारी क्षति का सामना करना पड़ा।

इससे ना तो पहले से चल रहे शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई हो पाई और ना ही नये खोले गए संस्थानों में बच्चे दाखिल हो पाए और ना ही उनकी पढ़ाई हो पाई और पहले से पढ़ा रहे शिक्षकों को नये स्कूलों में भेजकर बेला कर दिया गया। केवल और केवल सरकार ने अपने वोट बैंक को बनाने का काम किया।

चौहान ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पहले से ही जरूरत से ज्यादा शिक्षण संस्थान खोले गए हैं और अधिक शिक्षण संस्थान खोलने की आवश्यकता हिमाचल जैसे छोटे राज्य में नहीं है। सरकार को इन संस्थानों को मूलभूत आवश्यकताएं प्रदान करने पर ही जोर देने की आवश्यकता है।

इसी तरह अन्य विभागों में भी यही हाल है। जरूरत से ज्यादा कार्यालयों व संस्थानों को खोलने के बजाय उसे सुदृढ़ करना और अच्छी व्यवस्था देना सरकार की प्राथमिकता एवम उद्देश्य होना चाहिए। जिससे आम जनता लाभान्वित हो सके।
चौहान ने कहा कि स्कूलों में खाली चल रहे शिक्षकों के पदों को भरने की आवश्यकता है जिससे बच्चों के भविष्य को सुदृढ किया जा सके।

संवाददाताः ब्यूरो शिमला

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