72 कन्याओं की शादी में संजय पराशर ने दिया शगुन

विवाह समारोह में खुद उपस्थिति दर्ज करवाते हैं कैप्टन संजय

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

सामाजिक सरोकारों में बड़ा नाम कमा चुके कैप्टन संजय समाज के हर वर्ग की सहायता कर रहे हैं। इसी कड़ी में वह 72 कन्याओं की शादी में आर्थिक सहायता कर चुके हैं और यह सिलसिला निरंतर जारी है। बड़ी बात यह भी है कि पराशर खुद विवाह समाराेह में पहुंचकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं और वर-वधु काे आशीर्वाद देते हैं। शगुन की राशि पराशर सिर्फ चेक के माध्यम से देते हैं। दरअसल कोरोनाकाल के बाद आर्थिक रूप से अक्षम परिवारों की स्थिति जब संजय ने देखी, तो कई गांवों में उन्होंने राशन सामग्री भी पहुंचाई। इसके बाद इन परिवारों की बेटियों की शादी की बात संजय के संज्ञान में आई, तो उन्होंने आर्थिक अनुदान देने का निर्णय लिया। जसवां-परागपुर क्षेत्र के 72 परिवारों की बेटियों को अब तक वह शगुन दे चुके हैं। दिलचस्प यह भी है कि ऐसे परिवारों को आर्थिक सहायता देने से पहले पराशर की टीम होम वर्क करती है और घर का दौरा करती है।

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परिवार के आर्थिक हालात के पता करने के बाद उसी हिसाब से मदद की जाती है। कई बेटियों की शादी में शगुन के अलावा पराशर शादी के कार्यक्रम के लिए राशन सामग्री भी भेंट की है। निराश्रित महिलाओं की बेटियों की शादी में बढ़-चढ़कर याेगदान देते हैं। बीडीसी सदस्य अनुज शर्मा ने बताया कि संजय पराशर ने समाज सेवा की बड़ी मिसाल पेश की है। वह आर्थिक रूप से कमजाेर परिवारों के साथ हरदम खड़े रहते हैं। उन्हाेंने व्यक्तिगत रूप से जब भी बेटियों की शादी के लिए आर्थिक अनुदान के लिए कहा, पराशर व्यस्तता होने के बावजूद भी हर कार्यक्रम में पहुंचे। चौली की पूर्व प्रधान ममता कटवाल का कहना है कि संजय महिला सशक्तीकरण की दिशा में कई प्राेजेक्टस पर काम कर रहे हैं। कोरोना के बाद ग्रामीण क्षेत्रों के परिवारों के हालात को वो अच्छी तरह जानते हैं।

बेटियों की शादी में लाखों रूपए शगुन के रूप में अब तक दे चुके हैं, जो यह दर्शाता है कि पराशर सामाजिक सरोकारों को संवेदनशीलता से निभा रहे हैं। पूनणी पंचायत के उपप्रधान तिलक राज ने बताया कि संजय पराशर ने उनकी पंचायत में अब तक छह बेटियों की शादी में सहायता की है। कैप्टन संजय खुद विवाह समारोह में शामिल होते हैं। खुब्बण गांव के मान सिंह बताते हैं कि पराशर को उन्होंने बेटी की शादी का न्यौता भेजा था। संजय शादी से पहले ही उनके घर पर आए और परिवार के हालात देखकर विवाह के लिए सारी राशन सामग्री खरीद कर दे दी। बुडाहर के प्रीतम चंद ने बताया कि पराशर ने उनकी बेटी की शादी में आकर परिवार का मान बढ़ाया।

पराशर की सादगी ऐसी है कि वह उनके परिवार के सदस्य ही लगते हैं। वहीं, कैप्टन संजय का कहना था कि बेशक कोरोनाकाल के बाद गांवों में कई परिवारों की स्थिति में बदलाव आया है, लेकिन सामाजिक पंरपाराओं का निर्वहन भी तो समय पर ह्री होना होता है। ऐसे में अपने संसाधनों से जितना वह बेटियों की शादी में योगदान कर सकते हैं, उतना सहयोग दिया जा रहा है और भविष्य में ऐसे परिवारों की हर संभव मदद की जाएगी।