क्या सिद्धू ही हाेंगे पार्टी की पंजाब इकाई के अध्यक्ष?

उज्जवल हिमाचल। नई दिल्ली

सिद्धू के पीपीसीसी अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने को लेकर एएनआई से बात करते हुए कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने कहा कि मुझे लगता है कि स्थिति अच्छी है। वह मेरे दोस्त हैं। यहां तक कि उन्हें भी नहीं पता कि घोषणा कब होगी। इससे पहले शनिवार को सिद्धू ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ से उनके आवास पर मुलाकात की थी। पंजाब कांग्रेस में जारी कलह के अब खत्म होने के आसार नजर आ रहे हैं। संगठन में जारी सियासी गहमागहमी के बीच नवजोत सिंह सिद्दू के पंजाब कांग्रेस के कैप्टन बनने का रास्ता साफ हो गया है।

  • खत्म हाेने का नाम नहीं ले रही पंजाब कांग्रेस में जारी कलह

  • नवजोत सिंह सिद्धू ही बनेंगे पंजाब कांग्रेस के कप्तान!

  • आखिरकार अमरिंदर को सोनिया का हर फैसला मंजूर

सूत्रों ने शनिवार को कहा कि पार्टी की राज्य इकाई में दरार अब जल्द ही सुलझ जाएगी और नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीपीसीसी) के प्रमुख का पद संभालेंगे, जिसका जल्द ही ऐलान हो सकता है। हालांकि, नवजोत सिंह सिदद्धू की ताजपोशी की तारीख की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, मगर मीडिया रिपोर्ट की मानें तो आज उन्हें पंजाब कांग्रेस की कप्तानी मिल सकती है।

सूत्रों ने बताया कि नवजोत सिंह सिद्धू पार्टी की पंजाब इकाई के अध्यक्ष होंगे, जबकि उनके साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए जाएंगे। हालांकि, अभी सिद्धू के नाम का आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है, मगर सिद्धू समर्थक अभी से ही जश्न मना रहे हैं और पंजाब में जगह-जगह मिठाइयां बांटकर खुशी का इजहार कर रहे हैं। सिद्धू के कैप्टन बनने का रास्ता उस वक्त साफ होता दिखा, जब मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस महासचिव हरीश रावत से मुलाकात के बाद कहा कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी जो भी फैसला करेंगी, वो सबको स्वीकार होगा।

इसी बीच कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने कैप्टन अमरिंदर सिंह से भी मुलाकात की थी और सोनिया गांधी का संदेश पहुंचाया था। रावत शुक्रवार को सोनिया गांधी से मिले थे और उन्हें पंजाब कांग्रेस में संभावित बदलाव को लेकर अपनी रिपोर्ट दी थी। हालांकि, इस दौरान सिद्धू भी मौजूद थे। इससे पिछले सप्ताह कैप्टन ने सोनिया से मुलाकात की थी। बैठक के बाद हरीश रावत ने दोहराया कि अमरिंदर सिंह आगामी विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी के मुख्यमंत्री पद का चेहरा बने रहेंगे।

क्योंकि उनके शासन ने राज्य के लोगों से प्रशंसा अर्जित की है और इसलिए भी कि “पंजाबी अपने राजनीतिक नेतृत्व के साथ प्रयोग नहीं करना चाहते हैं।” बता दें कि पंजाब कांग्रेस में सत्ता को लेकर खींचतान लगभग एक महीने से चल रही है, जहां सिद्धू ने राज्य में बिजली संकट की आलोचना कर राज्य सरकार के खिलाफ खुलेआम बगावत कर दी। कांग्रेस नेतृत्व अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इस दरार का हल निकालने के लिए प्रयास कर रहा है।