आतंकियाें के खेल में सादे कपड़ाें में कमांडाें ने डाला खलल

उज्जवल हिमाचल। श्रीनगर

अब्बास आतंकियों की टॉप-10 सूची में शामिल था। दोनों लंबे समय से पुलिस की रडार पर थे। मारे गए आतंकियोंं से हथियार भी बरामद किए गए हैं। दोनों कई नागरिकों की हत्या में शामिल थे। आईजीपी विजय कुमार ने बताया कि दोनों आतंकियों के बारे में इनपुट मिलने पर पुलिस के दस जवान सिविल ड्रेस में गए। क्षेत्र का घेराव किया और उन्हें ललकारा।फिल्मी अंदाज में एसओजी के दस कमांडों ने सादे कपड़ों में श्रीनगर के आलूचिबाग क्रिकेट मैदान में सोमवार शाम क्रिकेट खेलने पहुंचे टीआरएफ के सरगना अब्बास शेख और उसके साथी डिप्टी कमांडर साकिब मंजूर को घेरकर मार गिराया।

चेतावनी देने के बाद उधर से फायरिंग की गई, जिसका जवाब दिया गया। मुठभेड़ में दोनों आतंकी मारे गए। अब्बास ने आतंक फैला रखा था और नए युवाओं को आतंकवाद में भर्ती के लिए प्रेरित करता था, जिसके चलते बच्चों के अभिभावक काफी परेशान थे। विजय कुमार ने बताया कि अब्बास शेख के इशारे पर ही साकिब श्रीनगर में कई हत्याएं कर चुका था। चार और आतंकी वांछित हैं। जिन्हें जल्द मार गिराया जाएगा।

सूत्रों के अनुसार दोनों आतंकी पिछले तीन से श्रीनगर के आलूचिबाग क्षेत्र में क्रिकेट खेलने आ रहे थे। इसकी जानकारी पुलिस को थी। सोमवार को इनपुट मिला तो एसओजी के कमांडो सिविल ड्रेस में पहुंचे। ऑपरेशन को बड़े ही पेशेवर तरीके से अंजाम दिया गया। ऑपरेशन के समय ग्राउंड में काफी बच्चे और लोग भी मौजूद थे। साकिब का एक वीडियो कुछ महीने पहले वायरल हुआ था। इसमें वह फिरन के नीचे से एके-47 राइफल निकालकर दो पुलिस कर्मियों पर हमला करता दिखा था। इस हमले में दोनों पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। टीआरएफ सरगना मोहम्मद अब्बास शेख काफी दुर्दांत था।

पढ़ाई बीच में छोड़कर टेलर से जिंदगी शुरू करने वाला अब्बास धीरे-धीरे आतंकवाद की दुनिया में अपनी दहशत कायम करता गया। इसके बाद वह टीआरएफ का सरगना बन गया। उसके दो भाई मोहम्मद इब्राहिम और मोहम्मद अशरफ शेख भी आतंकी थे, जिन्हें सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में मार गिराया था। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार ए डबल प्लस कैटेगरी के अपने भाई हिजबुल आतंकी इब्राहिम के मारे जाने के बाद आतंक की राह पकड़ी थी। 2002 में हिजबुल सरगना सैयद सलाहुद्दीन ने उसे संगठन की ओर से किए गए हमले की श्रीनगर अखबारों में कवरेज की जानकारी जुटाने का जिम्मा सौंपा था।

इसी दौरान उसे लाल चौक में बीएसएफ ने हथियारों के साथ पकड़ लिया था और पीएसए के तहत जम्मू की कोट भलवाल जेल में भेज दिया गया था। जहां से छूटने के बाद उसने आतंकी संगठन के साथ काम करना शुरू किया। 2007 में हिजबुल ने उसे निकाल दिया। बाद में वह जैश-ए-मोहम्मद में शामिल हो गया। 2014 में उसे दोबारा गिरफ्तार किया गया जहां से छूटने के बाद 2015 में वह वापस हिजबुल में शामिल हो गया।