कोरोना संक्रमण के साथ सेब बागवानों को सताने लगा स्कैब रोग का खतरा

कृषि विज्ञान केंद्र मंडी के बागवानी वैज्ञानिक डॉ. लक्ष्मीकांत शर्मा ने दी स्कैब से बचाव को लेकर जानकारी

उमेश भारद्वाज। मंडी

मंडी जिला के सेब बागवानों को लगातार बदल रहे मौसम के मिजाज के कारण अपनी फसल को स्कैब रोग लगने की चिंता भी सतानी शुरू हो गई है। क्षेत्र के सराज,थुनाग,रोहांडा,चौकी,कमांद और करसोग क्षेत्रों के बागवान काफी चिंतित नजर आ रहे हैं। बता दें कि जिला के विभिन्न क्षेत्रों में आजकल सेब के बागानों में फल ने अखरोट का आकार ले लिया है। वहीं अप्रैल और मई महीने के पहले पखवाड़े में हुई बारिश के कारण अधिक ह्यूमिडिटी की स्थिति बनी हुई है, जो सेब में स्कैब रोग लगने का खतरा बढ़ा रही है। इसके चलते क्षेत्र के सेब उगाने वाले बागवानों को सतर्क रहने की जरूरत है। जानकारी देते हुए कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कृषि विज्ञान केंद्र मंडी के बागवानी वैज्ञानिक डॉ. लक्ष्मीकांत शर्मा ने कहा कि बागवानों को अपने सेब की फसल को स्कैब से बचाने के लिए डा. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी द्वारा निर्धारित शेड्यूल के अनुसार सिफारिशों को अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस समय सेब का फल अखरोट जितना हो गया है तो सेब में स्कैब रोग के प्रबंधन के लिए मैंकोजैब 600 ग्राम या प्रोपिनेब 600 ग्राम या डोडिन 150 ग्राम 200 लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करें। उन्होंने कहा कि इसके बाद दूसरा स्प्रे 20 दिनों के बाद किया जाता है जिसमें एंट्राकोल और जिनौब 600 ग्राम 200 लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव किया जाता है। वहीं इसके बाद भी अगर सेब में स्कैब के लक्षण पाए जाते हैं तो सेब के तुड़ान से 20-25 दिन पहले कैप्टान दवाई का छिडक़ाव 600 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी में घोलकर किया जा सकता है। इससे स्कैप के साथ-साथ सेब के फल में लगने वाला काला धब्बा रोग भी कम हो जाएगा।