कोरोना काल में हिंसक हुए शिमला के बंदर

उज्जवल हिमाचल ब्यूरो। शिमला

 

  • खाना न मिलने पर लोगों से छीना झपटी कर रहे बंदर
  • बंदरों के आतंक से स्थानीय जनता समेत परेशान हुए नगर निगम शिमला के जनप्रतिनिधि
  • नगर निगम शिमला और वन्य जीव विभाग करे समस्या का समाधान

वैसे तो राजधानी शिमला में बंदरों का खौफ आम बात है लेकिन कोरोना काल मे यह आतंक दोगुना हो गया है। शहर में आए दिनों एक दर्जन से ज्यादा मामले बंदरों के काटने के आए हैं। सबसे बड़े अस्पताल में एक माह के भीतर करीब दो दर्जन मामले आए हैं जिन्हें टीका लगाकर घर भेजा गया है। शहर में बंदरो का आतंक इतना बढ़ गया है कि जुलाई माह में एक महिला अपने घर की छत से गिरकर मर गई। बन्दरों का आतंक से आम जनता के साथ साथ निगम के जनप्रतिनिधि भी परेशान हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि कोरोना काल में अब बन्दर जंगलों को छोड़कर मॉल रोड़ और रिज पर खुलकर लोगों को डरा रहे हैं। इतना ही नहीं बंदर यहां लोगों से बिना डरे छीना झपटी कर भाग जाते हैं । यदि बन्दरों को खाने पीने का सामान नहीं मिलता है तो तो बंदर लोगों को खाने पड़ते हैं। बन्दरों का आतंक इतना बढ़ गया है कि हर तरफ लोग अकेले आने जाने से भी डरते हैं। इतना ही नहीं बन्दरों के आतंक से स्थानीय जनता के साथ साथ निगम के पार्षद भी बड़े सहमे हुए हैं। पार्षदों ने भी नगर निगम प्रशासन और वन्य जीव विभाग से समस्या का समाधान करने की मांग की है।

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पार्षदों का कहना है कि बन्दरों का समाधान करना बहुत जरुरी है इसके लिए कोई न कोई ठोस कदम उठाना चाहिए। बन्दरों के खौफ से पूर्व मेयर कुसुम सदरेट भी सहमी हुई है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने भले ही बन्दरों को साल 2016 में वर्मिन घोषित कर दिया साथ ही बन्दर को मारने पर पांच सौ रुपए का भी इनाम भी रखा लेकिन शिमला शहर में न तो कोई व्यक्ति बन्दर मारने को तैयार हुआ और न ही किसी को ईनाम मिल पाया। उन्होंने कहा कि नगर निगम और वन्य जीव विभाग को मिलकर एक साथ काम करना चाहिए और इसका समाधान निकालना चाहिए।

वहीं नगर निगम मेयर सत्या कौंडल का कहना है कि बन्दरों से निजात पाना चुनौती है लेकिन इनसे निजात पाने के लिए जंगलों में वन विभाग के साथ गुठलीदार पौधे लगाए जाएंगे ताकि शहर की ओर पलायन न कर सके।

बता दें कि साल 2016 में केंद्र सरकार ने शिमला शहर में बंदरों को वर्मिन घोषित किया था।इसके अलावा प्रदेश के 11 जिलों में भी बन्दरों को वर्मिन घोषित कर पांच सौ रुपए का इनाम भी रखा
था। लेकिन शिमला शहर में नगर निगम शिमला ने बन्दरों को मॉल रोड़, रिज और सार्वजनिक स्थानों से बन्दरों को भगाने के लिए जगह जगह पर सैहब कर्मचारी भी गुलेल और डंडे के साथ तैनात किए थे लेकिन शहर में न तो बन्दर भाग पाए और न ही बन्दरों की समस्या का हल निकल पाया। मौजूदा समय में बन्दरों का आतंक इतना बढ़ गया है कि अब यह बिना डरे लोगों पर हमला कर रहे हैं। कोरोना काल में बन्दरों का आतंक दोगुना हो गया है। जहां उन्हें जंगलों में खाने पीने के लिए कम वस्तुएं मिल रही हैं वहीं वे शहरों की ओर पलायन कर लोगों पर कातिलाना हमला कर रहे हैं।

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