आज कृषि विश्वविद्यालय मना रहा है स्थापना दिवस

पालमपुर: पालमपुर कृषि विवि पालमपुर की स्थापना पहली नवंबर 1978 को हुई थी। जून 2001 में इसका नाम चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय रखा था। 44 वर्षों में विश्वविद्यालय ने प्रदेश के कृषि परिदृश्य को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विश्वविद्यालय की स्थापना से पालमपुर को नई पहचान मिली है।

विश्वविद्यालय का अनुसंधान निदेशालय कृषि, पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान, गृह विज्ञान व आधारभूत विज्ञान संकाय के विभिन्न अनुसंधान कार्यक्रमों को समन्वित करता है। तीन अनुसंधान केंद्र बजौरा, धौलाकुआं व कुकुमसेरी, 10 अनुसंधान उपकेंद्र कांगड़ा, मला, नगरोटा, अकरोट, बरठीं, सलूणी, ऊना, सुंदरनगर, लियो लरी सांगला आदि हैं।

कृषि विश्वविद्यालय ने क्षेत्र विशेष की जरूरतों के अनुरूप विभिन्न फसलों के लिए 155 कृषि तकनीक विकसित की हैं। जैविक खेती पर शोध के साथ कृषि विश्वविद्यालय ने 22.66 करोड़ रुपये की प्राकृतिक खेती की परियोजना पर कार्य शुरू किया है।

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चार महाविद्यालय हो रहे संचालित

कृषि व अन्य विषयों में शिक्षा के लिए कृषि विश्वविद्यालय में चार महाविद्यालय संचालित हैं। कृषि महाविद्यालय में 13, डॉ. जीसी नेगी पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय में 18, गृह विज्ञान महाविद्यालय में पांच व आधारभूत विज्ञान महाविद्यालय में चार विभाग हैं। यहां पांच स्नातक, 27 स्नातकोत्तर व 14 पीएचडी– कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं।

विश्वविद्यालय किसानों, पशुपालकों, महिलाओं व ग्रामीण युवाओं के लिए विभिन्न प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन भी करता रहता है। प्रसार सेवाओं के लिए विश्वविद्यालय के मुख्यालय व कृषक मित्र, लाभकारी तकनीक और अनुसंधान के प्रसार के लिए कुल्लू, सिरमौर, हमीरपुर, ऊना, मंडी, कांगड़ा, बिलासपुर व लाहुल-स्पीति में कृषि विज्ञान केंद्र कार्यरत हैं।

जहां कृषि विश्वविद्यालय आधुनिक तकनीक से किसानों को अधिक से अधिक फसल उगाने की विधि का प्रचार प्रसार कर रहा है वहीं पर कृषि विश्वविद्यालय जैविक खेती तथा परंपरागत कृषि विधि को भी प्रोत्साहित करता रहता है। जहां एक और कृषि अनुसंधान प्रसार व विस्तार पर ध्यान दिया जा रहा है।

वहीं चौधरी हरिंदर कुमार के नेतृत्व में कृषि विश्वविद्यालय के मेन कैंपस के सौंदर्यकरण का कार्य भी तीव्र गति से चल रहा है। जब से प्रोफेसर हरिंदर कुमार चौधरी ने कुलपति का पदभार संभाला है तबसे विश्वविद्यालय के सौंदर्यकरण की ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि इस विश्वविद्यालय की पहचान एक खूबसूरत कैंपस के रूप में भी हो सके। उनका विचार है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन निवास करता है तथा सुंदर वातावरण ही सुंदर विचारों को जन्म देने में सहायक होता है।

संवाददाताः गौरव कौंडल

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