पारंपरिक अनाज कोदरा की चाय पीकर बढ़ाएं इम्यूनिटी

पीयूष शर्मा । करसोग

करसोग उपमंडल के गांव नागलोग में महिला मंडल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कृषि वैज्ञानिक नेकराम शर्मा द्वारा पारंपरिक फसल कोदरा की चाय बनाना सिखाया गया। उनका कहना है कि पारंपरिक फसल कोदरा कैल्शियम से भरपूर है अगर गांव वाले इसकी चाय बना कर पिएंगे तो उनको कभी कैल्शियम की कमी नहीं होगी। इसके अलावा शरीर की इम्यूनिटी भी बढ़ेगी।

कोरोना महामारी ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले रखा है। इस दौरान देखने में आया है कि जिन लोगों की शारीरिक इम्यूनिटी यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है। उन लोगों को कोराना का संक्रमण जल्दी होता है। इससे बचने के लिए शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने की जरूरत है। इसी कड़ी में करसोग की खादरा पंचायत के नगलोग गांव की महिला मंडल द्वारा एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में लोक कृषि वैज्ञानिक नेकराम शर्मा महिला मंडल की प्रधान आशा देवी व उनकी सदस्य आदि ने भाग लिया। इसके अलावा इस कार्यक्रम में शोभाराम विनोद कुमार व कृषि विभाग के चेतराम ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।

नेक राम शर्मा ने उपस्थित महिला समूह को पारंपरिक फसलों का महत्व समझाया। इस दौरान उन्होंने खासतौर से पारंपरिक फसल कोदरा यानि फिंगर मिलटस की चाय बना कर पिलाई। इसको रागी भी कहा जाता है। चाय को बनाने के लिए 250 ग्राम कोदरा और इसके अलावा बराबर बराबर मात्रा में मूंगफली, बादाम, अखरोट कूट कर डाले गए। इसका चाय पाउडर तैयार करने के लिए ढाई सौ ग्राम गोदरे को देसी घी के साथ भूना जाता है और इसमें बाकी सामग्री भी कूट कर डाली जाती है। जब यह भून कर तैयार हो जाता है तो इसका पाउडर बना लिया जाता है। एक कप चाय में इसकी दो चम्मच और गुड़ मिलाकर पिया जाता है।