कांगड़ा में आए विनाशकारी भूकंप के शहीदों को 118वीं वर्षगांठ पर दी गई श्रद्धांजलि

कांगड़ा में आए विनाशकारी भूकंप के शहीदों को 118वीं वर्षगांठ पर दी गई श्रद्धांजलि

उज्जवल हिमाचल। कांगड़ा
जिला कांगड़ा (KANGRA) में 4 अप्रैल 1905 में आए विनाशकारी भूकंप में शहीद हुए हजारों व्यक्तियों को श्रद्धांजलि देने के लिए कल पुराने कांगड़ा मार्ग पर स्थित मिशन की ओर जाने वाली सड़क के समीप बने समारक पर नगर परिषद् कांगड़ा व रेड क्रॉस सोसायटी के सदस्यों द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

इस दौरान 1 मिनट का मौन भी रखा गया व स्मारक पर मोमबत्ती जलाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर कांगड़ा नगरपरिषद् की अध्यक्षा रेणु शर्मा, उपाध्यक्षा राजकुमारी, पार्षद सुमन वर्मा, वार्ड नंबर-8 पार्षद अशोक कुमार शर्मा, सौरव शर्मा, समाजसेवी सतीश चौधरी, अतुल चौधरी, जिला आपदा प्रबंधन की ओर से जगजीत भुल्लर, रेडक्रॉस सोसायटी के सदस्यों समेत अन्य व्यक्ति उपस्थित रहे।


4 अप्रैल 1905 में आए इस विनाशकारी भूकंप में कई इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गई थी। जिससे लाखों की जान माल की हानि हुई। जिला कांगड़ा भूकंप की दृष्टि से जोन-5 में आता है जोकि अत्यंत विनाशकारी जोन है। भूकंप 04 अप्रैल, 1905 को भारत में तत्कालीन पंजाब प्रांत (आधुनिक हिमाचल प्रदेश) के कांगड़ा घाटी और कांगड़ा क्षेत्र में स्थानीय समयानुसार लगभग 01 बजे सुबह के आसपास आया था।

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भूकंप की तीव्रता 7.8 मापी गई थी। भूकंप की तीव्रता के कारण भूकंप से एक लाख से अधिक इमारतें ध्वस्त हो गई थीं। कम से कम 20 हजार लोगों के मारे जाने का अनुमान था और 53 हजार घरेलू जानवर भी इस भूकंप के बाद मलवो में खो गये थे। इसके अलावा, कांगड़ा, मैकलोडगंज और धर्मशाला शहरों में अधिकांश इमारतें नष्ट हो गई थीं।

118 वर्षों में, भूकंप ने किसी भी अन्य प्राकृतिक खतरे की तुलना में अधिक लोगों की जान ली है। भूकंप में होने वाली प्रमुख आपदाओं से लगभग 18 लाख मौतें हुई हैं। पिछले 100 वर्षों के कुछ सबसे घातक भूकंप तुर्की, ताइवान, इंडोनेशिया, भारत, ईरान, चीन, हैती और नेपाल में पिछले बीस वर्षों में आए हैं, जिनमें कुल मिलाकर पांच लाख लोगों की मौत, कई घायल और लाखों का जीवन बाधित हुआ है।

कम समय में ये विनाशकारी घटनाएं जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण से प्रेरित 21वीं सदी में जोखिम के बारे में एक मजबूत संदेश देती हैं। जोखिम को कम करने के लिए उचित भूमि उपयोग और भवन कोड महत्वपूर्ण हैं। वैज्ञानिकों ने भी चेतावनी दी है कि हिमाचल प्रदेश के हिमालयी क्षेत्र में निकट भविष्य में बड़े भूकंप आने की संभावना है, जो कि बड़े विनाश का कारण बन सकता है और दो लाख से अधिक लोगों की मौत हो सकती है यदि हम जोखिम में कमी और आपातकालीन प्रतिक्रिया पर कड़ी मेहनत नहीं करते हैं।

संवाददाताः अंकित वालिया

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