महात्मा गांधी का गांधीवाद जिंदाबाद था और जिंदाबाद ही रहेगा: कैप्टन संजय पराशर

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

महात्मा गांधी की 152 वीं जयंती पर कैप्टन संजय पराशर के नेतृत्व में स्वाणा से गुरनबाड़ तक पदयात्रा निकाली
गई। पद यात्रा के समापन अवसर पर नंगल चौक में पराशर ने कहा कि महात्मा का गांधीवाद जिंदाबाद है और जिंदाबाद रहेगा। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए राष्ट्र को पराधीनता की बेड़ियों से आजाद करवाया था। उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने की आज भी उतनी ही आवश्यकता है।

पहाड़ी गांधी बाबा कांशीराम ने अंग्रेजों को अपने क्रांतिकारी साहित्य से था ललकारा

वहीं, पहाड़ी गांधी बाबा कांशीराम ने भी तप व त्याग के बल पर अंग्रेजों को अपने क्रांतिकारी साहित्य से ललकारा था। ये पद यात्रा स्वाणा गांव से पहाड़ी गांधी बाबा कांशीराम के निवास स्थान गुरनबाड़ तक आयोजित की गई। कुल साढ़े बीस किलोमीटर की इस यात्रा में युवाओं, महिलाओं बुजुर्गों के साथ बच्चो ने भी भाग लिया।

गांधी के कारण ही अंग्रेज भारत को छोड़ने पर मजबूर हुए 

बाबा जग्गो की गद्दी में पद यात्रा के शुभारंभ करते हुए कैप्टन संजय ने कहा कि हिंदोस्तान की आजादी में महात्मा गांधी ने बड़ी भूमिका निभाई थी। गांधी के कारण ही अंग्रेज भारत को छोड़ने पर मजबूर हुए थे। वहीं, जब देश भर में स्वतंत्रता के नारे लग रहे थे तो ठीक उसी वक्त दूर पहाड़ों में एक महान शख्स भी देशभक्ति की धुन में मतवाला हो चुके थे। बाबा कांशीराम ने गांव-गांव में जाकर लोगों को आजादी के आंदालेन से जोड़ रहे तो पहाड़ी भाषा में लिखे साहित्य से भी आमजनमानस का ध्यान आकर्षित करने में सफल रहे।

सड़क के द्वारा पूर्ण की यह पदयात्रा 

पराशर ने कहा कि आज उन्होंने सड़क के द्वारा यह पदयात्रा पूर्ण की है, लेकिन उस वक्त को याद करके मन सिहर उठता है, जब बाबा कांशीराम पंगडंडियों से होते हुए आजादी का अलख जगाते होंगे। कहा कि बाबा कांशीराम को ज्ञात था कि कैसे संगीत के माध्यम से आम लोगों के मन में जगह बना सकती है। इसलिए आम आदमी को समझाने के लिए उन्होंने मातृभाषा में साहित्य लिखा और गाने भी पहाड़ी भाषा में गाए।

पराशर ने कहा कि उनका जादू व प्रभाव ऐसा था कि उन्हें सुनने के लिए सैंकड़ों लोग एकत्रित हो जाते थे। आज भी महात्मा गांधी व पहाड़ी गांधी बाबा कांशीराम जैसी महान विभूतियों की विचारधारा के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है। विशेष रूप से युवा वर्ग को उनकी दी गई शिक्षाओं से अवगत करवाना है और कहीं न कहीं उनके द्वारा पद यात्रा के आयोजन के पीछे का उद्देश्य भी यही था।

वहीं, इस पदयात्रा का अभिनंदन स्वाणा अप्पर, चंबी, कालू दी बड़, जौड़बड़, बाथू, बठरा, नंगल चौक और गुरनबाड़ में स्थानीय वासियों द्वारा गर्मजोशी के साथ किया गया। बाबा कांशी राम के पौत्र रविकांत शर्मा व विनोद शर्मा ने बताया कि पराशर के सौजन्य से पहली बार इतनी लंबी पदयात्रा निकाली गई है और उन्हें प्रसन्नता हुई कि कैप्टन संजय ने बाबा कांशीराम के निवास स्थान पर आकर अपनी यात्रा पूर्ण की।

गुरनबाड़ की स्थानीय पंचायत प्रधान वंदना देवी ने बताया कि ऐसी पद यात्राओं से लोगों में राष्ट्रभक्ति का जज्बा उमड़ता है और युवा भी राष्ट्र की आजादी में शामिल असली नायकों की भूमिका से रूबरू होते हैं।