बेरोजगारी पर सरकार के खिलाफ क्या बाेले सुशांत, पढ़े

सुरेंद्र जम्वाल। बिलासपुर

कांगडा संसदीय क्षेत्र के पूर्व सांसद एवं हिमाचल फ्रंट के अध्यक्ष डॉ राजन सुशांत ने प्रदेश में बढ़ रही बेरोजगारी के मुद्दे पर प्रदेश सरकार को घेरते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश मे आज बेरोजगारी का आंकड़ा 13 लाख तक पहुंच गया हैं, जिसमें वे लोग भी शामिल हैं, जो लॉकडाउन के कारण बाहरी राज्यों से नौकरियां छोड़कर आएं हैं। सरकार द्वारा बेरोजगारों को आउटसोर्स, मिड-डे मील व सेल्फ फाईनेंस तथा अनुबंध आधार नियुक्त कर्मचारियों को ठगा जा रहा है।

उनका भविष्य दांव पर लगा हुआ है, लेकिन सरकार को इस बात की कोई चिंता नहीं है। वह यहां पर आज पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार के एनपीएस जैसे काले कानून के कारण आज इन कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद बहुत कम पेंशन मिल रही है, जिसके विरोध में 24 अक्तूबर को एनपीएस कर्मचारियों की प्रदेश स्तरीय धरना प्रदर्शन हैं, जिसमें काफी संख्या में लोग ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने के लिए सरकार पर जबरदस्त दवाब डालने के लिए भाग भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी विधायक व सांसद के नाते मिलने वाली पेंशन सुविधा को वापिस ले लिया है।

इसलिए सरकार को चाहिए कि एनपीएस की तर्ज पर 2003 के बाद के विधायकांे की पेंशन भी बंद होनी चाहिए। उन्होंने एनपीएस कर्मचारियों की इस मांग को जायज ठहराते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को इस मुददे पर खुले बहस की चुनौती देते हुए कहा िक इस मुददे पर बहस करने के लिए किसी मंच व स्थान को तय कर लें। क्योंकि इस काले कानून से प्रदेश में लगभग डेढ़ लाख कर्मचारी परेशान हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार को एनपीएस के मुददे पर आगाह करते हुए कहा कि सरकार इस काले कानून को वापस लें।

अन्यथा इसके गंभीर परिणाम भुगतने को तैयार रहे। उन्होंने इस अवसर पर सीमेट के बढते दामों पर चर्चा करते हुए कहा कि जहां सीमेंट का उत्पादन होता है, वहां पर सीमेंट के दाम 50 रूपए अधिक हैं, जहां सीमेंट का उत्पादन नहीं होता, वहां पर सीमेंट के दाम 50 रुपए कम हैं। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार शीतकालीन सत्र के दौरान सीमेंट के दामों पर बढ़ती कीमतों पर नुकेल कसने के लिए सख्त कानून बनाएं, ताकि इसकी कीमतों कीे सीमेंट के दामों को नहीं बढ़ाया जा सके।

उन्होंने सरकार से यह भी मांग की कि लॉकडाउन के दौरान दुकानदारों द्धारा बैंकों से लिए गए कर्ज पर छह माह तक का ब्याज नहीं लिया व बढे़ हुए बिजली के बिलों को भी वापस लिया जाए। क्योंकि इस दौरान सब तरह की आर्थिक गतिविधियां ठप्प हो चुकी थी। इस मुददे पर हिमाचल फ्रंट पीछे नहीं हटेगा।