निजीकरण पर यूनियन ने फूंका संघर्ष का बिगुल

उमेश भारद्वाज। सुंदरनगर

हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड जनरेशन विंग के एचपीएसईबी इंप्लाइज यूनियन ने सोमवार को काले बल्ले लगाकर केंद्र व प्रदेश सरकार के विरुद्ध संघर्ष का बिगुल बजा दिया है। यूनियन बिजली संशोधन विधायक-2020 को काले दिवस के रूप में बिजली उपभोक्ता विरोधी मना रही है। इस अवसर पर कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इंप्लाइज एंड इंजीनियर के आह्वान पर प्रदेश के सभी कर्मचारियों और इंजीनियर्स ने काले बिल्ले लगाकर इस काले कानून का विरोध किया।

यूनियन के उप महामंत्री जगमेल सिंह ठाकुर ने कहा कि बिजली कानून- 2003 में संशोधनों को लेकर केंद्र सरकार 2014 से लगातार प्रयासरत है, लेकिन अधिकतर राज्य सरकारों व बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं के विरोध के चलते अब तक लागू नहीं कर पाए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में पूरा देश कोरोना महामारी के कारण पूरी तरह से ग्रस्त है। इसके चलते केंद्रीय ऊर्जा मंत्री बिजली संशोधन विधेयक-2020 के रूप में पारित करने की जल्दी में है।

इस महामारी के चलते सरकारी कार्यालय लॉकडाउन की वजह से आंशिक रूप से खुले हैं और पूरे देश में बिजली कर्मचारी बिजली बहाली के कार्यों को मुस्तैदी से निभा रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार कोविड-19 महामारी की आड़ लेकर बिजली संशोधन बिल-2020 के ड्राफ्ट बिल पर तीव्रता से कार्रवाई कर के पास करवा कर बिजली कंपनियों के निजी करण का रास्ता साफ करने जा रही है।

जगमेल ठाकुर ने कहा कि बिजली बोर्ड के बने बनाए ढांचे को प्राइवेट हाथों में देने से जहां प्रदेश की जनता को महंगी दरों पर बिजली मिलेगी। वहीं, दूसरी ओर बिजली बोर्ड में कार्यरत कर्मचारियों की सेवा शर्तों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि बिजली वितरण प्रणाली के अगर प्राइवेट हाथों में दे दिया जाता, तो वर्तमान में ग्रामीण उपभोक्ताओं को दी जाने वाली सब्सिडी भी समाप्त हो जाएगी।

इससे घरेलू बिजली की दरों में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हो जाएगी और बिजली आम आदमी की पहुंच से दूर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि प्राईवेट घराने कंपनी भी शहरी क्षेत्र में बिजली वितरण के कार्य को लेने के इच्छुक होंगे, लेकिन दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्र में जहां बिजली आपूर्ति की लागत अधिक होगी, का कार्य करना पसंद नहीं करेंगे। इस स्थिति में बिजली बोर्ड जो सरकारी कंपनियों के रूप में काम कर रही है, वह ग्रामीण क्षेत्र का बिजली वितरण व रख-रखाव का काम करना होगा।

यूनियन मांग करती है कि बिजली सुधारों के नाम पर बिजली बोर्डों को बेचना बंद करें। एचपीएसईबी इंप्लाइज यूनियन के महामंत्री जगमाल सिंह ठाकुर ने कहा कि बिजली संशोधन विधेयक-2020 बिजली बोर्ड के कार्यरत कर्मचारियों और पेंशनरों विरोधी होने के साथ-साथ बिजली उपभोक्ता विरोधी भी है। उन्होंने सरकार से मांग की कि बिजली बोर्ड और अन्य सरकारी विभागों की संपत्तियों को बेचने पंजीकरण करना बंद करें।

अन्यथा कर्मचारी आने वाले समय में आंदोलन को आम जनता तक ले जाकर लड़ाई को तीव्रता के साथ लड़ेंगे। यूनियन के राज्य उपाध्यक्ष दौलतराम सुंदरनगर इकाई के प्रधान कनव और सचिव रमेश शर्मा ने भी अपने विचार रख कर विरोध दर्ज किया। इस विरोध प्रदर्शन में जनरेशन के चीफ इंजीनियर आरके पठानिया, एसई यशवंत ठाकुर सहित अन्य तमाम अधिकारी पदाधिकारी गण मौजूद रहे।