यूनियनस का सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन

उज्जवल हिमाचल ब्यूराे। शिमला

ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के राष्ट्रीय आह्वान पर हिमाचल प्रदेश में सीटू, इंटक व एटक से जुड़े हज़ारों मजदूरों ने प्रदेश के विभिन्न स्थानों में प्रदेश सरकार द्वारा फैक्टरी एक्ट, कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट, इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट में बदलाव करने व 8 घंटे की ड्यूटी को 12 घंटे करने के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किए। इस दौरान हिमाचल प्रदेश के जिला मुख्यालयों में उपायुक्तों के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपे गए।

हिमाचल प्रदेश संयुक्त मंच के राज्य संयोजक डॉ कश्मीर ठाकुर, इंटक प्रदेशाध्यक्ष बावा हरदीप सिंह, एटक प्रदेशाध्यक्ष जगदीश चंद्र भारद्वाज, सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, इंटक महामंत्री सीता राम सैनी, एटक महामंत्री देवक़ीनंद चौहान व सीटू महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार द्वारा फैक्टरी एक्ट, कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट, इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट में बदलाव करने व 8 घंटे की ड्यूटी को 12 घंटे करने के निर्णय की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इसे मजदूरों के अधिकारों पर कठोर प्रहार करने वाला कदम बताया है।

उन्होंने प्रदेश सरकार को चेताया है कि वह पूंजीपतियों व उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए मजदूर विरोधी नीतियां बनाना बंद करें। उन्होंने कहा है कि मजदूर कोरोना महामारी व लॉकडाउन के दौर में मजदूर सबसे ज्यादा प्रभावित व पीड़ित हैं। ऐसे समय में प्रदेश की भाजपा सरकार ने उनके जख्मों पर मरहम लगाने के बजाए श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी परिवर्तन करके उनके ज़ख्मों पर नमक छिड़क दिया है।

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ये मजदूर विरोधी कदम पूरी तरह से मानवता विरोधी हैं। उन्होंने कहा है कि प्रदेश सरकार पर पूंजीपतिपरस्त होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि यह सरकार पूरी तरह से मजदूरों के खिलाफ कार्य कर रही है। प्रदेश सरकार ने फैक्ट्रीज एक्ट 1948 की धारा 51, धारा 54, धारा 55 व धारा 56 में बदलाव करके साप्ताहिक व दैनिक काम के घंटाें, विश्राम की अवधि व स्प्रैड आवर्ज़ में बदलाव कर दिया है। काम के घंटाें को 8 से बढ़ाकर 12 घंटे करने के मजदूर विरोधी कदम ने इस सरकार की पोल खोल कर रख दी है।

सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट की धारा 1, फैक्ट्री एक्ट की धारा 2(म), 65(3) व 85(1) में मजदूर विरोधी परिवर्तन कर दिए हैं व धारा 106(ब) जोड़ कर उद्योगपतियों को लूट की खुली छूट दे दी है। प्रदेश सरकार ने इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट की धारा 22(1), 25(फ) व 25(क) में बदलाव की सिफारिश करके मजदूरों के अधिकारों को खत्म करने की साज़िश रची है, जिसे कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा। सरकार के इन कदमों ने मजदूरों पर कई प्रकार के हमलों का दरवाजा खोल दिया है।

उन्होंने कहा है कि कार्यदिवस 8 के बजाए 12 घंटे करने से फैक्ट्रियों में कार्यरत लगभग एक तिहाई मजदूरों की छंटनी होना तय है। अभी 8 घंटे की ड्यूटी के कारण फैक्ट्रियों में तीन शिफ्ट का कार्य होता है। 12 घंटे की ड्यूटी से कार्य करने की शिफ्टों की संख्या तीन से घटकर दो रह जाएगी, जिसके चलते तीसरी शिफ्ट में कार्य करने वाले एक-तिहाई मजदूरों की छंटनी हो जाएगी। इस निर्णय ने प्रदेश में हज़ारों मजदूरों की छंटनी के दरवाजे खोल दिए हैं।

इसी तरह कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट में श्रम क़ानूनों को।लागू करने के लिए किसी भी संस्थान में 20 ठेका मजदूरों की शर्त को बढ़ाकर ठेका कर्मियों की भारी संख्या को श्रम कानून के दायरे से बाहर कर दिया है। इसी तरह फैक्ट्री एक्ट के संशोधन से ऊर्जा संचालित कारखानों में श्रम कानूनों को लागू करने की दस मजदूरों की संख्या को बढ़ाकर 20 करने व बगैर ऊर्जा संचालित कारखानों में मजदूरों की संख्या को 20 से बढ़ाकर 40 करने से मजदूरों की संख्या का एक बड़ा हिस्सा कारखाना अधिनियम के दायरे से बाहर हो जाएगा।

इसी प्रकार इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट में छंटनी, ले ऑफ व तालाबंदी के विशेष प्रावधानों के लिए मजदूरों की संख्या को 100 से बढ़ाकर 300 करने से प्रदेश के दो-तिहाई उद्योगों के हज़ारों कर्मचारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।