जसवां-परागपुरः- कैप्टन संजय ने कहा है कि जसवां-परागपुर के कई गांवों में पानी की समस्या हर मौसम में बनी रहती है। जल स्त्रोतों में पर्याप्त पानी होने के बावजूद लोगों को बूंद-बूंद के लिए तरसना पड़ता है। यह समस्या सिर्फ इस बार नहीं हुई बल्कि हर वर्ष क्षेत्र के कई इलाकों में ग्रामीणों को पेयजल किल्लत से जूझना पड़ता है।
इस समस्या के स्थायी समाधान पर क्यों काम नहीं हो पाया, यह भी अपने आप में यक्ष प्रश्न है। बुधवार को क्षेत्र की गुरालधार पंचायत के पट्टी गांव में आयोजित 50वें महायज्ञ में पराशर ने कहा कि कई क्षेत्रों में लोगों के संपर्क करने पर वह निजी स्तर पर पानी के टैंकर मुहैया करवाते हैं।
पिछले दो सप्ताह से पाइपें टूटी होने के कारण वह बठरा, अप्पर भलवाल और जदामण आदि गांवों में अपनी तरफ से 10 पानी के टैंकर भेज चुके हैं, लेकिन इस दिशा में प्रशासन व विभाग को भी उचित कदम उठाने चाहिए। अगर पेयजल सप्लाई बाधित हो रही है तो किसी को तो इसका संज्ञान लेना चाहिए। संजय ने कहा कि अगर उन्हें क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिलता है, तो हर दिन प्रत्येक नल में पांच घंटे पेयजल की सप्लाई सुनीश्चित करेंगे।
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संजय ने कहा कि जसवां-परागपुर क्षेत्र की कई ऐसी समस्याएं हैं, जो वर्षों से अपने हल होने का इंतजार कर रही हैं। जनसंवाद कार्यक्रमों में उन्हें कई गांवों के वासियों ने पेयजल की घोर किल्लत बताई। हालांकि उन्होंने अपने स्तर पर ग्रामीणों को राहत पहुंचाने का प्रयास किया, लेकिन ऐसी व्यवस्था क्यों नहीं बन पा रही है, जिससे कि इस समस्या का समाधान हो जाए।
आवास योजना के तहत ग्रामीणों को मकान के लिए मिलने वाली आर्थिक सहायता के लिए लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ रही है। अस्पतालों का हाल ऐसा है कि बच्चा पैदा करने के लिए भी बाहर के स्वास्थ्य संस्थानों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। स्वास्थ्य उपकेंद्रों के हाल भी ऐसे हैं कि इनका खुलने और बंद होने की जानकारी गांववासियों को नहीं होती है। स्कूलों व कॉलेजों में पद काफी समय से रिक्त चल रहे हैं।
इस अव्यवस्था से बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ होता साफ नजर आ रहा है। संजय ने कहा कि बेसहारा पशुओं की समस्या ऐसी है कि किसानों का खेती से मोह भंग हो चुका है। क्षेत्र में गौ अभ्यारण्य बनाया जा सकता है और हजारों बेसहारा गौ धन को आसरा दिया जा सकता है, लेकिन शायद तंत्र इस समस्या के समाधान के लिए भी गंभीर नहीं है। पराशर ने कहा कि यह भी एक कारण है कि इस क्षेत्र के गांवों से पलायन भी हुआ है।
इन समस्याओं के समाधान और गांवों में विकास का खाका सिर्फ व्यवस्था परिवर्तन से ही किया जा सकता है। संजय ने कहा कि महायज्ञों के आयोजन के पीछे उनकी सोच है कि जसवां-परागपुर क्षेत्र के गांव विकास के पथ पर अग्रसर हों और गांववासी समृद्ध व खुशहाल हों।
उन्हें प्रसन्नता है कि पावन महायज्ञों का अर्धशतक गुरालधार पंचायत में पूरा हो गया है। महायज्ञ में सवा सौ परिवारों ने हवन यज्ञ में आहुतियां डालीं। इस अवसर पर नसीब सिहं, राजेंद्र सिंह, पूर्व प्रधान उत्तम चंद, ओंकार सिंह, महेन्द्र सिंह, ईश्वर सिंह, प्रोमिला देवी, रत्न चंद, विकास, अमन, रीनू, आशा देवी और कांता देवी भी मौजूद रहे।
जसवां-परागपुर ब्यूरो।
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