वर्क फ्रॉम होम में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं हुईं शामिल, केंद्रीय विश्वविद्यालय के अध्ययन में खुलासा

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उज्जवल हिमाचल। धर्मशाला

कोरोना महामारी से देश का हर व्यक्ति प्रभावित हुआ हैं। लोगों को अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा और कई छोटे-मोटे अद्योग-धंधे बंद हो गए। पर इस दौरान व्यवसायियो ने अपने कामगारों को रोजगार देने के लिए नए-नए आयाम स्थापित किए हैं। जिसमे सबसे प्रमुख है वर्क फ्राॅम होम। कोविड काल में वर्क फ्रॉम होम में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं शामिल हुईं। यह खुलासा केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला समेत कई अन्य संस्थानों के एक अध्ययन से हुआ है। इस दौरान ज्यादा वेतन लेने वालों ने अधिक चुस्ती दिखाई तो कम वेतन वाले लापरवाह रहे।

जिनके ज्यादा बच्चे थे, उनका काम भी प्रभावित रहा। कम बच्चे वालों का अच्छा प्रदर्शन रहा। कोविड की वजह से विभिन्न कंपनियों और अन्य संस्थानों में कार्य संस्कृति में बडे़ बदलाव आए हैं। लॉकडाउन और कर्फ्यू के बीच कर्मचारियों का वर्चुअल काम करने का ट्रेंड बढ़ गया। इसमें वर्क फ्रॉम होम की नई कार्यप्रणाली सामने आई। इन संस्थानों ने यह अध्ययन 208 कर्मचारियों पर किया। उन्हें ई-मेल या सोशल मीडिया की साइटों पर प्रश्नावलियां भेजीं। अध्ययन के अनुसार पुरुषों का महिला कर्मचारियों की तुलना में कम एनगेजमेंट स्कोर रहा। कारण यह भी हो सकता है कि महिला कर्मचारी पुरुषों की तुलना में घरों में अधिक आरामदायक स्थिति में महसूस करती रही हों।

वेतन का भी वर्क फ्रॉम होम पर प्रभाव रहा। अगर वेतन बड़ा था तो कर्मचारियों का जुड़ाव भी ज्यादा रहा। अपने संगठन के शीर्ष प्रबंधन से कर्मचारी अगर संपर्क में थे तो इससे भी उनका स्कोर बढ़ गया। मानसिक स्वास्थ्य का भी असर पड़ा। अगर कर्मचारी अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रख रहे थे और वे स्वस्थ थे तो वे वर्क फ्रॉम होम में ज्यादा शामिल हो रहे थे। इंटरनेट की स्पीड अच्छी होने और वर्चुअल सॉफ्टवेयर के ठीक से काम करने से भी जुड़ाव ज्यादा रहा। अध्ययन के नतीजों के अनुसार जहां पर कर्मचारियों का वर्चुअल प्रशिक्षण हुआए वे ज्यादा जुडे़ रहे। मनोरंजन की गतिविधियों, वर्चुअल टीम वर्क और वैवाहिक स्थिति का कर्मचारियों के शामिल होने के स्कोर पर कोई असर नहीं रहा।

इन्होंने किया अध्ययन….
यह अध्ययन केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के विजेश चौधरी, कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नालॉजी भुवनेश्वर की स्मृति रेखा मोहंती, बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय रोहतक की पूनम मलिक, मदुरैई कामराज विश्वविद्यालय की, अप्सरा स्लेथ मेरी, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में एमजेएम नोरमानी आदि ने संयुक्त रूप से किया है।