एसके शर्मा। हमीरपुर
कोविड-19 लॉकडाउन से प्रवासी मजदूर हिमाचल से पलायन कर चुके हैं, जिसके चलते निर्माण कार्यों के लिए लोगों को मजदूर नहीं मिल रहे। स्थानीय लोग जो मजदूरी का कार्य करते हैं, वह घर पर अपनी खेतीबाड़ी के कार्य में व्यस्त हैं। मजदूरों की कमी के कारण विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। जिला हमीरपुर में बहुत कम संख्या में प्रवासी मजदूर बचे हैं। अधिकतर अपने राज्यों में लौट गए हैं।
हमीरपुर में करीब 35 हजार से अधिक प्रवासी मजदूर काम करते थे, लेकिन वर्तमान में इनकी संख्या 5 हजार से भी कम रह गई है, जिसके चलते सबसे अधिक परेशानी सरकारी विभागों को झेलनी पड़ रही है। जिला हमीरपुर में लोक निर्माण विभाग, जलशक्ति विभाग और राज्य बिजली बोर्ड समेत हिमुडा के सभी विकास कार्यों को टेंडर पर आवंटित किया जाता है।
तकरीबन सभी ठेकेदार भवनों का निर्माण, सड़क निर्माण, टारिंग, पुलों और डंगों आदि के निर्माण कार्य के लिए प्रवासी मजदूरों को ही कार्य पर लगाते हैं। जिला में इन विभागों के अंतर्गत करोड़ों के प्रोजेक्ट चल रहे हैं लेकिन, प्रवासी मजदूरों के घर लौट जाने के कारण जिले में मजदूर नहीं मिल रहे।
उधर, श्रम विभाग के निरीक्षक राम शर्मा ने बताया कि लोनिवि, जलशक्ति और अन्य विभागों में टेंडर हासिल करने वाले ठेकेदारों को 20 से अधिक मजदूरों को रोजगार देने पर पंजीकरण अनिवार्य है, ताकि काम पर लगे मजदूरों को ईपीएफ समेत अन्य वित्तीय लाभ मिल सकें। लेकिन, जिला में बहुत ही कम ठेकेदारों ने इस संदर्भ में पंजीकरण करवाया है। जिला में कितने प्रवासी मजदूर हैं, विभाग के पास इसका आंकड़ा उपलब्ध नहीं।