विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी ने जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ने पहाड़ियों का सर्वे किया शुरू

 सुरेन्द्र जम्वाल। बिलासपुर 

विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी ने जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ने पहाड़ियों का सर्वे किया शुरू श्री नैना देवी की पहाड़ियों को मजबूती प्रदान करने के लिए व्यापक कार्रवाई की जाएगी। श्री नयना देवी मंदिर के पीछे की पहाड़ी की ग्रोउनटिंग को लेकर जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीआईसी) चंडीगढ़ की एक टीम श्री नयना देवी में पहुँची ! और अपना कार्य शुरू किया।

मंदिर न्यास के अध्यक्ष राजकुमार ठाकुर तथा मंदिर न्यास के सहायक अभियंता प्रेम शर्मा इस दौरान जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया टीम के साथ उपस्थित रहे । उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पहले जीआईसी के डायरेक्टर के साथ मंदिर न्यास के आयुक्त पंकज राय के साथ इस पहाड़ी की ग्रोउनटिंग के लिए एक मीटिंग हो चुकी थी जिसके लिए मन्दिर के पीछे भाग की पहाडी को और पक्का करने की कार्य योजना तैयार की जा रही थी ।

मंदिर के पीछे की तरफ पहाड़ी एवं चटाने गिरने के कारण मंदिर न्यास मंदिर के साथ लगती सारी पहाड़ी की ग्रोउनटिंग के लिए लगातार जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया चंडीगढ़ के साथ संपर्क में थे। ताकि मंदिर की पहाड़ी को कोई खतरा ना हो इसके लिए इसकी ग्राउंडिंग करवा कर इसे टिकाऊ व मजबूत बनाने के लिए

जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया चंडीगढ़ के साथ संपर्क में थी इससे पूर्व आईआईटी रुड़की इंडिया के एक्सपर्ट के माध्यम से भी इसका एक विजिट करवाया गया था तथा अब इसका अंतिम सर्वे करवाकर इस कार्य योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा।

यहां यह भी बता दें कि 1977 में नयना देवी में भारी भूस्खलन हुआ था जिसके चलते नयना देवी में भारतीय स्टेट बैंक पुराना भवन तक जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने इस पहाडी को अनसेफ घोषित किया गया था। जिसकी रिपोर्ट नगर परिषद के पास उपलब्ध है।

पहाड़ी में लगातार रिस रहा पानी तथा पानी का निकास सही ना होने के कारण पहाड़ी को लगातार खतरा बना हुआ है। इस पहाडी को तथा पुराने रास्ते व बाज़ार को बचाने के लिए अभी तक कोई भी सरकार ने ठोस कदम नही उठाया गया था।

अब जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीआईसी) चंडीगढ़ के साथ मंदिर के पिछले भाग को पक्का करने के लिए इसकी ग्रोउनटिंग करने के लिए नई कार्य योजना तैयार होगी तथा सारे मंदिर के चारों और पहाड़ी में ग्रोउनटिंग करके इसे और मजबूत किया जाएगा तथा ताकि कोई भी खतरा मंदिर एवं नगर को ना हो ।