6 वर्षाें से नहीं हुआ लोगों की पेयजल समस्या का स्थायी समाधान

शैलेश शर्मा। चंबा

जिला चंबा के अंतर्गत आने वाली पंचायत पुखरी के गांव सुरेला मैं पिछले 6 वर्षाें से यहां के स्थानीय लोगों को पेयजल की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। यहां 3 से 4 दिन के बाद मात्र 2 घंटे के लिए पानी आता है, जो कि यहां की आबादी के मुकाबले बहुत कम है। लोगों को पीने का पानी तीन से 4 किलोमीटर की दूरी से लाना पड़ता है और मवेशियों को भी पानी पिलाने के लिए दूर नाले में ले जाना पड़ता है पानी की समस्या की वजह से यहां के लोगों का जीवन यापन बहुत कठिन हो चुका है।

पानी की इस समस्या से तंग आ चुके ग्रामीण लोगों का कहना है कि प्रदेश सरकार या जिला प्रशासन हम लोगों को इस गांव में पानी मुहैया करवाए या फिर हमें और इस गांव को बंब से उड़ा दें। पिछले कई वर्षों से पानी की इस समस्या से जूझ रहे इन ग्रामीण लोगों का कहना है कि हम गांव के लोगों को हर वर्ष इन्ही गर्मियों के दिनों में पानी की बहुत समस्या आन पड़ती है। सभी नाले सुख जाते हैं और जिस जगह पर थोड़ा बहुत पानी होता है, वंहा भी पानी कम होने की वजह से अकसर लड़ाई झगड़ा चला ही रहता है।

इन ग्रामीणों की बस एक ही मांग है कि उनके गांव में जैसे भी हो पानी मिलना ही चाहिए। पानी की समस्या से तंग आ चुके इन ग्रामीण लोगों ने बताया कि इसको लेकर हम लोग कई बार विभागीय अधिकारियों के पास भी गए पर किसी ने भी हमारी सुनवाई नहीं की। इन लोगों ने बताया कि हमे हमारे इस गांव अपने और मवेशियों को पिलाने पानी नहीं मिलता है, तो सिंचाई कहा से की जा सकती है, मिलो दूर सर पे उठाकर पानी को लाना पड़ता है। इन लोगों ने प्रदेश मुख्या मंत्री से गुहार लगाते हुए कहा कि या तो हमारे इस गांव में पानी को पहुंचाया जाए या फिर हमें और हमारे इस गांव को बंब से उड़ा दिया जाए।

पानी की इस समस्या को लेकर इन ग्रामीण लोगों ने जो इस तरह के बयान दिए हैं, उससे तो साफ जाहिर होता है कि यह लोग पानी को लेकर जरूरत से ज्यादा तंग आ चुके हैं। इसको लेकर पुखरी पंचायत की प्रधान बिंद्रा देवी से से पूछा गया, तो उनका कहना था कि इन ग्रामीण लोगों ने जो पानी की समस्या को रखा है, वह तो ठीक है, पर इसके लिए हमने भी विभाग को कई बार कहा है।

उन्होंने अपनी प्रतिष्ठा को उजागर करते हुए कहा कि पंचायत प्रधान को लेकर उनका यह चौथा चुनाव है, तो ऐसी विषय को लेकर हमने पहले भी बात की पर विभाग के लोग ऐसे ही ताल मटोल कर जाते हैं, यंहा तक की दफ्तर में भी जाकर बात की और यंहा पर किसी और की डियूटी लगा दो, पर फिटर की नहीं क्योंकि फिटर लोग अपनी लाइन में सब कुछ कर जाते हैं। गांव में पानी बिलकुल भी नहीं आ रहा है। इसको लेकर प्रधान साहिब गुस्से में तिलमिला उठी और कहने लगी कि अब प्रधान ने थोड़ी ही रैंच पकड़कर पानी के टैंक में जाना है, हम तो इस समस्या को लेकर फिटर कह सकते हैं न?