पालमपुरः चौसकु हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के हैदराबाद स्थित भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिल्लेट्स रिसर्चद्ध के साथ शोध और शिक्षा के क्षेत्र में मिलकर कार्य करने के लिए समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया है।
कुलपति प्रो. एच. के. चौधरी ने जानकारी देते हुए बताया कि दोनों संस्थानों द्वारा पारंपरिक फसलों के क्षेत्र में जर्मप्लाज्म एक्सचेंज, फसल सुधार और मूल्य संवर्धन सहित शिक्षा व शोध पर तेजी से कार्य किया जाएगा। उन्होंने बताया कि भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान आईआईएमआर, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का एक प्रमुख शोध संस्थान है।
प्रो.चौधरी ने बताया कि दोनों संस्थानों के पास उपलब्ध शोध उपकरण और पुस्तकालय की सुविधा एक-दूसरे के संकाय और शोधार्थियों को उपलब्ध करवाई जाएगी। स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को शोध पत्रों में शोध कार्यो के लिए यह सहायक होगा।
चौसकु हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय और आईआईएमआर पारंपरिक खाद्यान्नों के क्षेत्र में मिलकर अनुसंधान करेगें। दोनों संस्थानों के वैज्ञानिक संयुक्त कार्य के लिए अनुसंधान परियोजनाएं और मानव संसाधन योजनाओं को तैयार करेगें। इसके अतिरिक्त संयुक्त परियोजना और सलाहकार परियोजनाओं को दीर्घकालिक और अल्पकालिक लक्ष्यों के साथ शुरू किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि इस सहयोग से पारपंरिक फसलों जैसे चौलाई, बाथू, बाजरा और विशेष रूप से रागी, मंडल, कोदरा, कंगणी, चीना, शंख आदि के पारपंरिक बीजों व पौधों के आदान प्रदान में लाभ होगा और इस संयुक्त प्रयास से इस पहाड़ी राज्य के किसानों को इन फसलों की खेती को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
आईआईएमआर की निदेशक डॉ. त्नावली ने कहा कि उनका संस्थान हिमाचल प्रदेश में पारपंरिक फसलों की खेती के लिए जागरूकता अभियान के लिए विश्वविद्यालय को वित्तिय सहायता भी प्रदान करेगा। चौसकु हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय की तरफ से कुलपति प्रो.एच.के.चौधरी और आईआईएमआर से निदेशक डॉ. सी.वी. रत्नावली ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
इस दौरान अनुसंधान निदेशक डॉ. एस. पी. दीक्षित, विश्वविद्यालय के बजौरा स्थित अनुसंधान केंद्र के सहनिदेशक विनोद शर्मा, कृषि विज्ञान केंद्र मंडी के कार्यक्रम समन्वयक पंकज सूद व आईआईएमआर के वैज्ञानिक मौजूद रहे।
पालमपुर ब्यूरो।