छठे दिन भगवान खाटू श्याम के रूप में हुआ बाबा भूतनाथ का श्रृंगार

बाबा भूतनाथ मंदिर में लगा भक्तों का तांता

उज्ज्वल हिमाचल। मंडी

बाबा भूतनाथ मठ मंदिर छोटी काशी मंडी में रोज माखन रूपी श्रृंगार के माध्यम से जिला भर के लोगों को बाबा भूतनाथ के अलग-अलग स्वरूपों में दर्शन मिल रहे हैं। तारा रात्रि के पश्चात बुधवार को माखन रूपी श्रृंगार का छठा दिन है जिसमें भगवान खाटू श्याम के रूप में सभी भक्तों ने बाबा भूतनाथ के दर्शन किए। बाबा भूतनाथ मंदिर में आज भक्तों का खूब तांता लगा रहा और सभी ने भगवान खाटू श्याम के मनमोहक दर्शन किए।

 

 

बाबा भूतनाथ मठ मंदिर छोटी काशी के महंत देवानंद सरस्वती ने कहा कि खाटू श्याम मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। यह मंदिर राजस्थान में सीकर नामक स्थान पर स्थित है। मान्यता है कि खाटू श्याम भगवान श्री कृष्ण के कलयुगी अवतार है। खाटू श्याम पांडवों में प्रसिद्ध भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र है जिनका असली नाम बर्बरीक है। उन्होंने कहा कि खाटू श्याम जी में बाल अवस्था में ही वीर योद्धा के गुण थे। महाभारत के युद्घ में हिस्सा लेने के लिए उन्होंने अपनी माता से आज्ञा मांगी थी और उनको आभास हुआ कि महाभारत के युद्ध में हिस्सा लेने के कौरवों की सेना अधिक होने के कारण पांडवों को युद्ध में परेशानी हो सकती है।

 

इस पर बर्बरीक की मां ने उन्हें आज्ञा देते हुए ये वचन लिया कि वह युद्ध में हार रहे पक्ष का साथ देंगे। तभी से खाटू श्याम हारे का सहारा कहलाने लगे। बर्बरीक से प्रसन्न होकर भगवान शिव उन्हें तीन अभेद्य बाण दिए थे, इसलिए इन्हें तीन बाण धारी भी कहा जाता है। इन तीन बाणों में इतनी ताकत थी कि महाभारत का युद्ध इन तीन बाणों द्वारा ही खत्म किया जा सकता था। अपनी मां के कहे अनुसार बर्बरीक युद्ध में हारने वाले पक्ष का साथ देने आए लेकिन भगवान श्रीकृष्ण जानते थे कि कौरवों को हारता देखकर बर्बरीक कौरवों का साथ देंगे, जिससे पांडवों का हारना तय है। तब भगवान श्री कृष्ण ने ब्राह्मण का रूप बनाकर बर्बरीक से दान में उनका शीश मांगा। इस पर बर्बरीक ने अपनी तलवार से भगवान के चरणों में अपना सिर अर्पित कर दिया। इसलिए उन्हें शीश का दानी कहा जाता है।

संवाददाताः उमेश भारद्वाज

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