विश्व ग्लोकोमा सप्ताह के उपलक्ष्य पर जागरूकता शिविर आयोजित

उज्जवल हिमाचल ब्यूराे। ऊना

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग जिला ऊना द्वारा आंगनबाड़ी केंद्र गलुआ में विश्व ग्लोकोमा सप्ताह के उपलक्ष्य पर जिला स्तरीय जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस संबंध में जानकारी देते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ रमण कुमार शर्मा ने बताया कि प्रत्येक वर्ष मार्च माह में विश्व ग्लोकोमा सप्ताह मनाया जाता है। सीएमओ ने बताया कि ग्लोकोमा आंखों की रोशनी के लिए खतरा पैदा करने वाला रोग है, जो आंखों की नसों को खराब कर देता है। उन्होंने बताया कि इस रोग के कारण 40 वर्ष की उम्र में ही आंखों में दिक्कत शुरू हो जाती है।

ग्लोकोमा आमतौर पर 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों या विशेषकर उन्हें होता है, जिनके परिवार में काला मोतिया का इतिहास रहा हो, जिन लोगों की आंख में चोट लगी हो या मधुमेह, गठिया, सांस की बीमारी व एलर्जी से पीड़ित लोग जिनका लंबे समय से इलाज चल रहा है। डाॅ रमण शर्मा ने बताया कि इलाज में लापरवाही से आंखों की रोशनी भी समाप्त हो सकती है। ग्लूकोमा के मरीजों का इलाज नियमित दवा के उपयोग, लेजर या सर्जरी के जरिए केवल शुरूआती दौर में ही संभव है।

उन्होंने बताया कि समय पर इलाज से आंखों को दृष्टिहीनता से बचाया जा सकता है। जागरूकता शिविर में जिला कार्यक्रम अधिकारी रिचा कालिया ने लोगों को जानकारी देते हुए बताया कि आंखें हमारे शरीर के सबसे खास और नाजुक अंगों में से एक होती हैै। अगर इनका ख्याल न रखा जाए, तो छोटी सी परेशानी जिंदगी भर की तकलीफ बन सकती है। उन्होंने बताया कि यदि आंखों से बल्ब के चारों ओर रंगीन गोले नजर आएं, आंखों में दर्द महसूस हो, रोशनी कम लगे, तो यह ग्लोकोमा हो सकता है।

अगर चश्में का नंबर जल्दी-जल्दी बदल रहा हो या असामान्य सिरदर्द और नेत्र दर्द हो रहा हो, तो यह ग्लोकोमा का संकेत है। इस अवसर पर वार्ड-3 की पार्षद परमजीत कौर, जिला स्वास्थ्य शिक्षक गोपाल कृष्ण, बीसीसी समन्वयक कंचन माला, आशा वर्कर लता, सुमन, मीना, रीना, किरण, दर्शना पूनम तथा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उर्मिला देवी व मीणा कुमारी सहित स्थानीय लोग उपस्थित रहे।