‘पूरा महादेव’ के रूप में दूसरे दिन हुआ बाबा भूतनाथ का श्रृंगार

भगवान परशुराम ने भी की थी 'पूरा महादेव' की तपस्या

उज्ज्वल हिमाचल। मंडी

तारा रात्रि से चल रहे बाबा भूतनाथ के अद्भुत माखन रूपी श्रृंगार में आज बाबा भूतनाथ का उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित ‘पुरा महादेव’ के रूप में अद्भुत श्रृंगार किया गया है। छोटी काशी में पुरा महादेव के दर्शन करने को लेकर भक्तों का सैलाब उमडा रहा है। बाबा भूतनाथ के महंत देवानन्द सरस्वती ने कहा कि पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन से निकले विष को पी लेने के कारण भगवान शिव का कंठ नीला हो गया और वे नीलकंठ कहलाए।

यहां से हुई कावड़ यात्रा की परंपरा की शुरुआत 

विष के प्रभाव को खत्म करने के लिए लंका के राजा रावण ने कांवड़ में जल भरकर बागपत स्थित पुरा महादेव में भगवान शिव का जलाभिषेक किया था। यहां से ही कावड़ यात्रा की परंपरा की शुरुआत हुई हैं। उन्होंने कहा कि मान्यता है कि जहां पर परशुरामेश्वर पुरामहादेव मंदिर है, यहां काफी पहले कजरी वन हुआ करता था। इसी वन में जमदग्नि ऋषि अपनी पत्नी रेणुका सहित अपने आश्रम में रहते थे। प्राचीन समय में एक बार राजा सहस्त्र बाहु शिकार करते हुए ऋषि जमदग्नि के आश्रम में पहुंचे।

कामधेनु गाय की कृपा से राजा का किया पूर्ण आदर सत्कार 

रेणुका ने कामधेनु गाय की कृपा से राजा का पूर्ण आदर सत्कार किया। राजा उस अद्भुत गाय को बलपूर्वक ले जाना चाहते थे। सफल न होने पर राजा ने गुस्से में रेणुका को ही बलपूर्वक अपने साथ हस्तिनापुर महल में ले जाकर बंधक बना लिया। राजा की रानी ने उसे मुक्त करा दिया। रेणुका ने वापस आकर सारा वृतांत ऋषि को सुनाया, परंतु ऋषि ने एक रात्रि दूसरे पुरुष के महल में रहने के कारण रेणुका को आश्रम छोड़ने का आदेश दे दिया। ऋषि के चौथे पुत्र परशुराम ने पितृ आज्ञा को अपना धर्म मानते हुए अपनी माता का सिर धड़ से अलग कर दिया। बाद में पश्चाताप हुआ तो शिवलिंग स्थापित कर महादेव की पूजा की।

भगवान शिव ने प्रत्यक्ष दर्शन दिए और वरदान में माता को कर दिया जीवित 

भगवान शिव ने प्रत्यक्ष दर्शन दिए और वरदान में माता को जीवित कर दिया और एक परशु (फरसा) भी दिया। युद्ध में विजय का आशीर्वाद दिया। भगवान परशुराम वहीं पास के वन में एक कुटिया बनाकर रहने लगे थे। थोड़े दिन बाद ही परशुराम ने अपने फरसे से संपूर्ण सेना सहित राजा सहस्त्रबाहु को मार दिया। जिस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना की थी वहां एक मंदिर भी बनवाया था। देवानंद सरस्वती ने बताया कि आज छोटी काशी में सभी भक्त पुरा महादेव के रूप में दर्शन करें है।

संवाददाताः उमेश भारद्वाज

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