उपचुनाव से पहले बीजेपी में सुलगी ‘गुटबाजी’ की चिंगारी! शह और मात का ‘खेल’ हुआ तेज

विनय महाजन। नूरपुर

हिमाचल उपचुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, सूबे में सत्ताधारी बीजेपी के भीतर नेताओं के गुटों में शह और मात का खेल भी तेज हो गया है। वहीं,पार्टी में गुटबाजी भी खुलकर देखने को मिल रही है।

अब तक भीतरघात, भाई-भतीजावाद, गुटबाजी, ऐसे शब्द थे जिन्हें बीजेपी के लोग कांग्रेस की संस्कृति बताया करते थे….अमूमन बीजेपी खुद को पार्टी विद डिफरेंस कहती रहती है… दावे किए जाते थे कि कैडर आधारित बीजेपी अकेली ऐसी पार्टी है, जहां लोकतंत्र है और गुटबाजी या भीतरघात कतई नहीं है। लेकिन अब लगता नहीं कि ऐसा है….

क्योकि हिमाचल में जंहा उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है वहीं, टिकटों के आवंटन को लेकर मुख्यमंत्री के मंत्रीमंडल में एकजुटता नजर नहीं आ रही है। बीजेपी का कोई भी मंत्री मंडी लोक सभा का उपचुनाव लड़ने को तैयार नहीं है। वहीं , प्रदेश में होने वाले तीन विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव में टिकट को लेकर काफी भगदड़ मची हुई है।

कहीं पर कार्यकर्ता धरती पुत्र का नारा दे रहे हैं और कहीं पर परिवार वाद के खिलाफ चिंगारी सुलग रही है। तो कहीं पर पार्टी के कार्यकर्ताओं में धरातल से जुड़े कार्यकर्ताओं के मनपसंद प्रत्याशी का चयन अगर हाईकमान नहीं करती है तो वहां से बगावत का शंखनाद होना लाजमी है।

संगठन की कारगुजारी से खुश नहीं धवाला….

हालत यह है कि कांगडा जिला मे भाजपा संगठन और सरकार के बीच अनेक मतभेद इस उपचुनाव में उभर रहे हैं। वहीं, विधायक एवं राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला पार्टी संगठन की कारगुजारी से खुश नहीं है। कांगडा जिला किसी भी पार्टी की सरकार बनाने मे विशेष भूमिका निभाता है लेकिन एक जुटता न होने के कारण मुख्यमंत्री के पद से आज तक वंचित रहा है।

सरकार की सिरदर्दी बने डॉ. सुशांत….

फतेहपुर का उपचुनाव भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के प्रत्याशी के चयन के लिए कुछ नामों पर विचार चल रहा है। हाईकमान को ऐसा प्रत्याशी नजर नहीं आ रहा है जो डॉ. राजन सुशांत के वोट बैंक मे छेद कर सके। सरकार की सिरदर्दी सुशांत है जो किसी समय पार्टी का बफादार सिपाही थे।

पार्टी की प्रतिष्ठा बना सवाल…

सूत्रों से पता चला है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सुशांत के बारे में जानते हैं कि भले ही पार्टी से बाहर हैं लेकिन आज भी एक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सिद्धांतों पर चले हुए हैं। इसलिए हाईकमान फतेहपुर विधानसभा सीट पर पार्टी की प्रतिष्ठा बचाने के लिए कोई भी पड़ित कार्ड खेल सकती है। जहां तक चौधरी व ठाकुर जाति का सम्बन्ध है अभी तक कोई भी प्रत्याशी ऐसा नहीं है जिन्हें हाईकमान ने टिकट दिए हों। यही कारण है कि कांग्रेस यहां पर लम्बी पारी खेलती रही है भाजपा ने सुशांत पड़ित के बाद किसी अन्य पड़ित को टिकट नहीं दिया है।

भीतरघात पर रखनी होगी पैनी नज़र…

उधर, पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के समय जब उपचुनाव हुआ था उसमें भी पार्टी ने चौधरी समुदाय को टिकट दिया था। पार्टी उपचुनाव हार गई थी सुशांत के कारण टिकट का दावा करने वाले कृपाल परमार काफी सालों से फतेहपुर की जनता के साथ जुड़ें हुए हैं और लोगों की समस्याओं का समाधान करवाने में जुटे हैं। वहीं, वह इस चुनाव में अपनी जीत निश्चित बता रहे हैं। क्योंकि पिछली बार जब उन्हें टिकट हाईकमान से मिली थी तब वह चुनाव लड़ने के मूड में नहीं थे। जैसे प्रेम कुमार धूमल 2017 का चुनाव पार्टी में भीतरघात के कारण हारे थे लेकिन संगठन में वैठे पदाधिकारी अभी तक अपनी रिपोर्ट हाईकमान को नहीं दे सके आखिर कौन थे जिन्होंने धूमल को चुनाव हराया था। आज सुजानपुर की जनता पश्चाताप कर रही है अगर भाजपा ने उपचुनाव जीतना है तो पार्टी में भीतरघात पर पैनी नज़र रखनी होगी।