पंचायत चुनावों में भाजपा के मंसूबे नहीं होंगे पूरे : राजेश धर्माणी

सुरेंदर जम्वाल। बिलासपुर

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं पूर्व विधायक राजेश धर्माणी ने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं के चुनावों में अपने प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने की मंशा से कई तरह के घटिया हथकंडे अपनाने के बावजूद भाजपा के सपने पूरे नहीं हो पाएंगे। पंचायत चुनावों के मद्देनजर प्रदेश सरकार ने एक ओर जहां मनमाने ढंग से आरक्षण रोस्टर तैयार करवाया, वहीं बड़ी संख्या में स्थाई निवासियों के नाम भी मतदाता सूचियों से काट दिए गए। प्रदेश की जनता को सरकार के 3 साल के कार्यकाल में हर ओर से निराशा ही हाथ लगी है। ऐसे में लोग पंचायत चुनावों में भाजपा को सबक सिखाने का पूरा मन बना चुके हैं।


राजेश धर्माणी ने कहा कि जयराम सरकार का अब तक का कार्यकाल पूरी तरह से निराशाजनक रहा है। सरकार जनता से किए गए वादे निभाने में पूरी तरह नाकाम रही है। ईमानदारी का राग अलापने वाली इस सरकार के अब तक के कार्यकाल में भ्रष्टाचार पूरी तरह से हावी रहा है। नियमों को ताक पर रखकर चहेतों को ठेके आवंटित किए जा रहे हैं। नौसखिये ठेकेदार केवल पैसा बटोरने में जुटे हैं। गुणवत्ता को पूरी तरह से नजरअंदाज करके वे अपनी और अपने नेताओं की जेबें भर रहे हैं। आलम यह है कि घुमारवीं में करोड़ों रुपये की सरकारी संपत्ति भाजपा के एक पदाधिकारी को कौड़ियों के भाव लीज पर दे दी गई। प्रदेश में इस तरह की बंदरबांट के और भी अनगिनत उदाहरण हैं।

धर्माणी ने कहा कि प्रदेश की जनता ने पंचायत चुनावों में इस सरकार को सबक सिखाने का पूरा मन बना लिया है। लोगों की नाराजगी को भांपते हुए सरकार ने पंचायत चुनावों के लिए राजनीतिक आधार पर आरक्षण रोस्टर बनाया। इसके तहत कांग्रेस के जीतने की क्षमता रखने वाले उम्मीदवारों को चुनाव की दौड़ से बाहर कर दिया गया। जिला परिषद, बीडीसी व पंचायतों से लेकर नगर परिषदों व नगर पंचायतों में कांग्रेस के संभावित प्रत्याशियों के वार्डों को राजनीतिक आधार पर आरक्षित या अनारक्षित किया गया।

इसके पीछे सरकार की मंशा यही है कि भाजपा समर्थित प्रत्याशियों के लिए मैदान साफ हो जाए। वहीं, स्थाई निवासी होने के बावजूद बड़ी संख्या में लोगों के नाम मतदाता सूचियों से काट दिए गए। इसके विपरीत प्रवासियों के नाम वोटर लिस्टों में दर्ज कर लिए गए। इतना ही नहीं, मतदाता सूचियों में नाम दर्ज करवाने के लिए निर्धारित समय सीमा खत्म होने के बाद भी भाजपा से जुड़े लोगों के नाम लिस्ट में शामिल कर दिए गए, ताकि वे चुनाव लड़ सकें। भाजपा का ऐसा कोई भी हथकंडा उसके काम नहीं आएगा, क्योंकि जनता उसकी असलियत को बखूबी पहचान चुकी है। पंचायत चुनावों में उसे मुंह की खानी पड़ेगी।