कुत्तों के ख़ौफ़ में शहर, लाेगाें में भय का माहाैल

बाज़ार में दर्जनों कुत्ते एक साथ काटने को दौड़ते, प्रशासन के पास कोई कार्य योजना नहीं

रवि ठाकुर। बड़सर

आवारा कुत्तों का खौफ उपमंडल बड़सर के बिझड़ी व आसपास के गांवों में साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है। हर वर्ष दर्जनों लोग व पालतू पशु आवारा कुत्तों के पागलपन का शिकार होते हैं, लेकिन प्रशाशन इनकी रोकथाम के लिए कोई कार्य योजना तैयार नहीं कर पाया है। क्षेत्र में गर्मियों के साथ-साथ अब हर मौसम में कुत्तों का खौफ इतना बढ़ जाता है की लोग पैदल आते जाते वक्त साथ में लाठी लिए घुमते हैं। इसके अलावा दोपहिया वाहन चालकों के पीछे काटने को भागते कुत्तों के कारण कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।

सबसे ज्यादा परेशानियां सुबह शाम के वक्त मार्निंग वाक पर निकलने वाले लोगों व सेना में भर्ती के इच्छुक युवाओं को झेलनी पडती हैं। क्योंकि टहलते व दौड़ लगाते वक्त आवारा कुत्तों का झुंड भी पीछे पड़ जाता है। बिझड़ी में गर्ल स्कूल, गारली दियोटसिद्ध चौक, ब्लॉक रोड, मंडी चौक व कुआं चौक आवारा कुत्तों के मुख्य ठिकाने हैं। हालात ये हैं की अपनी धुन में मशगूल पैदल जा रहे लोगों को ये पता नहीं होता है की पीछे से कब कुत्ता काट कर अपना काम कर जाए। प्रशासन के रवैये का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की टीकाकरण कार्यक्रम में केवल पालतू कुत्ते ही शामिल किए जा रहे हैं, जबकि आवारा कुत्तों के लिए चलाया गया एनुअल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम ग्रामीण क्षेत्रों में कुत्तों को न पकड़ पाने की वजह से कामयाब नहीं हो पा रहा है।

जानकारी के अनुसार आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए एक्सपर्ट डाग कैचर की आवश्यकता होती है, लेकिन अभी तक एक्सपर्ट्स का कोई भी कैंप इस क्षेत्र में नहीं लगाया गया है। प्रशासन के इस रवैये के चलते लोग दहशत के साए में जीने के लिए मजबूर हैं। पशु चिकित्सक बिझड़ी डॉ अशोक का कहना है की जहां तक कुत्तों के टीकाकरण का सवाल है, तो विभाग पालतू कुत्तों का ही टीकाकरण करता है। अगर पंचायत या कोई और संस्था अपने स्तर पर कुत्तों को पकड़ कर लाए, तो उनका एनुअल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम के तहत नि:शुल्क नसबंदी व टीकाकरण किया जा सकता है।