एग्रीकल्चर के नाम पर खरीदे ट्रैक्टरों का हो रहा व्यवसायिक इस्तेमाल

व्यवसायिक तौर पर खरीदे ट्रैक्टर मालिक में रोष; बोले : खुद को कर रहे ठगा सा महसूस

अभिषेक सूद। देहरा

सरकार ने लोगों को कृषि संबंधित कार्यों के लिए जो ट्रैक्टर चलाने की अनुमति दी है। इसका अब लोग दुरुपयोग करना शुरू हो गए हैं। एग्रीकल्चर के तौर पर खरीद किए गए ट्रैक्टर अब व्यवसायिक तौर पर इस्तेमाल किए जाने लगे हैं, जिससे एक तरफ सरकार को तो चपत लग ही रही है, तो दूसरी और जिन लोगों ने व्यवसायिक तौर पर ट्रैक्टर खरीदे हैं, उनको भी नुकसान हो रहा है। ऐसे में अब जिन लोगों ने व्यवसायिक तौर से ट्रैक्टर खरीदे हैं, वह अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। क्योंकि एग्रीकल्चर के रूप में खरीदे गए ट्रैक्टरों का खर्चा कमर्शियल ट्रैक्टरों के मुकाबले आने वाले खर्चे से बेहद कम है।

अब ऐसे में लोग एग्रीकल्चर के रजिस्ट्रेशन करवा कर उन ट्रैक्टरों को कमर्शियल रूप इस्तेमाल करने लगे हैं। व्यवसायिक तौर से इस्तेमाल हो रहे इन ट्रैक्टरों से सीधा अवैध खनन संबंधित कार्य भी किया जा रहा है। साथ ही सरकार को टैक्स के मामले में भी चूना लगाया जा रहा है। व्यवसायिक तौर पर सरकार द्वारा अनुमति प्राप्त ट्रैक्टर मालिकों ने उक्त ट्रैक्टर मालिकों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्हें हर वर्ष पासिंग टैक्स रोड टैक्स इंश्योरेंस तथा अन्य प्रकार के खर्चों को मिलाकर लगभग 40 से 50 हजार रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं, जबकि कृषि संबंधी कार्यों के लिए अनुमति प्राप्त ट्रैक्टर मालिकों को बहुत कम पैसे खर्च करने पड़ते हैं।

वहीं, व्यवसायिक तौर पर अनुमति प्राप्त ट्रैक्टर मालिकों का कहना है कि उक्त कृषि संबंधी अनुमति प्राप्त ट्रैक्टर मालिक सस्ते दामों पर इलाके में खनन सामग्री को बेच रहे हैं, जिससे उन्हें नाम मात्र का ही काम मिल रहा है। उनका कहना है कि एक तो वैसे ही करोना की मार के कारण काम धंधे में कमी आई है। ऊपर से अब इस नई समस्या के कारण उनके द्वारा रखे गए ट्रैक्टर चलाने के लिए ड्राइवर की मासिक तनख्वाह व सर्विस का खर्चा भी निकालना मुश्किल हो गया है।

उनका कहना है कि सरकार को कृषि संबंधी कार्यों के लिए अनुमति प्राप्त ट्रैक्टर मालिक के द्वारा खनन संबंधी कार्यों व व्यवसायिक रूप से इस्तेमाल करने वाले वाहन मालिकों पर सख्त से सख्त नियमों के अनुसार कार्रवाई की की जानी चाहिए, जिससे कि व्यवसायिक तौर पर अनुमति प्राप्त ट्रैक्टर मालिकों को घाटे से बचाया जा सके। व्यवसायिक ट्रैक्टर मालिकों ने कहा है कि अगर सरकार द्वारा नई स्कीम के तहत ट्रैक्टरों को एग्रीकल्चर के तौर पर पास किया जा सकता है, तो जो पुराने ट्रैक्टर कमर्शियल तौर से उन्होंने खरीदे हैं, उनके मालिकों के हितों को ध्यान रखते हुए उनसे संबंधित कोई पॉलिसी बनाई जाए, जिसमें उनको कुछ राहत हो तथा सरकार द्वारा उनके टैक्सों में कमी की जाए, जिससे वह घाटे से उभर सकें।

क्या होता है एग्रीकल्चर ट्रैक्टरों का कार्य
प्राप्त जानकारी के अनुसार एग्रीकल्चर के तौर पर पास हुए ट्रैक्टर केवल खेतीवाड़ी से जुड़े कार्यों को ही अंजाम दे सकते हैं। इन को किसी भी प्रकार से व्यवसायिक गतिविधि में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। यह ट्रैक्टर केवल खेतीबाड़ी से संबंधित कार्य के लिए ही सरकार द्वारा पास किए गए हैं। ऐसे में इनका कमर्शियल इस्तेमाल अवैध है।