समाज के हर संप्रदाय को आपस में जोड़े रखती हैं सांझी विरासतें

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इंस्टीट्यूट फॉर सोशल डेमोक्रेसी संस्थान दिल्ली द्वारा जिला कुल्लू के बठाहड में स्थानीय लोगों को किया जागरूक

प्रेम सागर चौधरी। बंजार

इंस्टीट्यूट फॉर सोशल डेमोक्रेसी संस्थान दिल्ली द्वारा जिला कुल्लू की तीर्थन घाटी के बठाहड में स्थानीय लोगों और बाहरी राज्यों से आए प्रतिभागियों के लिए 24 फरवरी से 28 फरवरी तक पांच दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह एक आवासीय कार्यशाला थी। जिसमें यहां के करीब 30 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जिसमें कुछ प्रतिभागी बाहरी राज्यों से भी आए थे और सोमवार को बठाहड़ में इस कार्यशाला का समापन हो गया है।

पांच दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों ने समाज में तनाव पैदा करने वाले विभिन्न कारकों और ताकतों को जानने का प्रयास किया गया। इसके साथ ही समुह चर्चा के माध्यम से तनाव और टकराव को रोकने के लिए सांझी विरासत से विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा परिचर्चा और मंथन हुआ। सांझी विरासतों के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पर भी प्रतिभागियों ने ग्रुप वाइज अपनी अपनी प्रस्तुति पेश की है।

क्या है हमारी सांझी विरासतें –

सांझी मतलब सबकी और विरासतें जो हमें समाज का हिस्सा होने के नाते पीढ़ी दर पीढ़ी मिल रही है। हिमाचल प्रदेश का अधिकांश क्षेत्र पहाड़ी है जिसे देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। यहां की संस्कृति, बोली भाषा, खानपान, पहनावा, हस्तशिल्प, खेती किसानी, लोकगीत, लोक नृत्य, प्राकृतिक संसाधन, जैव विविधता, अनूठी देव परंपराएं और रस्मो रिवाज हमें एक साझी विरासत के रूप में मिले हैं। इनमें से कुछ विरासतें अब विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी है जबकि कुछ विरासतें अभी तक जीवन्त है।

इंस्टीट्यूट फॉर सोशल डेमोक्रेसी के प्रशिक्षक तेज सिंह ठाकुर का कहना है कि कुछ सकारात्मक सांझी विरासतें समाज के हर संप्रदाय को आपस में जोड़े रखती है जबकि कुछ नकारात्मक विरासतें समाज को तोड़ने का काम करती है। जिसमें छुआछूत भी एक है। इन्होंने कहा कि सकारात्मक सांझी विरासतों के महत्व और उपयोगिता को देखते हुए इनके संरक्षण संवर्धन और मजबूती के लिए हम सभी को एकजुट होकर क्षेत्रीय स्तर पर सांझे प्रयास करने होंगे। अपने समाज को सही दिशा में लेकर जाना हम सबकी सांझी जिमेदारी है जिसके लिए भारतीय संविधान ही हमें रास्ता दिखाता है।

इस पांच दिवसीय कार्यशला के दौरान आईएसडी के प्रशिक्षक तेज सिंह ठाकुर, आईएसडी की मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रुति चतुर्वेदी, आईएसडी के पदाधिकारी सुरेन्द्र रावत और वरिष्ठ साहित्यकार एवं पर्यावरण प्रेमी दौलत भारती विशेष रूप से उपस्थित रहे जिन्होने भाग लेने वाले प्रतिभागियों का बखूबी ज्ञानवर्धन किया है।

इसके अलावा इस पांच दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में यहां के स्थानीय परस राम भारती, कमलेश कुमार, गोपाल सिंह, केहर सिंह, ज्ञान चंद, हमेश चौहान, श्याम लाल, आशु, कपिल देव, सुदर्शन, नूप राम, टिकम राम, चुनी लाल, मनोहर लाल, मोहर सिंह, गंगे राम, कली राम, रूपेंद्र ठाकुर, कौर सिंह और योगेश भारती आदि ने मुख्य रूप से भाग लिया और महिला वर्ग मे कनिका संधू, अनीता, सुरीता ठाकुर, विद्या देवी व शांति देवी और सुनीता देवी ने हिस्सा लिया। बाहरी राज्यों से अनिता शर्मा, रवनीत और तालिब अख्तर ने इस कार्यशाला में हिस्सा लिया है।