जम्मू कश्मीर से आए श्रद्धालु डलझील में स्नान करके चंबा लोटे

उज्ज्वल हिमाचल। भरमौर

चंबा जिला के भरमौर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के इस पावन पर्व पर श्री मणिमहेश कैलाश मानसरोवर में साही स्नान की भी परम्परा है और सदियों से इस परम्परा को जम्मू कश्मीर के जिला डोडा, किश्तवाड़ और भद्रवाह के श्रद्धालु ही कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर अपने साथ लाई गई देवताओं की पवित्र छड़ी को डलझील में स्नान करवाते हैं। आज भी बहुत सारे जम्मू कश्मीर के जिला डोडा, किश्तवाड़ से आए श्रद्धालु डलझील में स्नान करके चंबा लोटे इन लोगों से बातचीत करने के दौरान उन्होंने बताया कि वह पिछले 41 वर्षो से जन्माष्टमी की इस पर्व को करते चले आ रहे हैं। इन लोगों ने जहां जिला प्रशासन की अच्छी कार्यकुशलता पर बधाई दी तो वहीं उनका यह रोष भी रहा कि उनकी प्राचीन संस्कृति और देवताओं को मानने की परंपरा को हिमाचल सरकार ने बैनकर दिया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार को उस बलि प्रथा को फिर से लागू किया जाए।

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इन लोगों का कहना है कि भले ही प्रदेश सरकार ने भेड़ बकरियों की बलि प्रथा को बंद कर दिया है लेकिन इसके बावजूद इसके सैकड़ां के हिसाब से ऊपर मणिमहेश डलझील में पशुओं की बलि हुई। इन लोगों का यह भी कहना है कि हमारे यहां यह बलि प्रथा किसी शोक के कारण नहीं दी जाती है बल्कि अपने इष्टदेव से मांगी गई मन्नत को पूरा होने के बाद ही दी जाती हैं। इन लोगों ने हिमाचल प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि हमारी इस प्राचीन परम्परा को फिर लागू करने की अनुमति दी जाए। वहीं दूसरी और श्री कृष्ण जन्माष्टमी की इस पावन यात्रा को करके चंबा के एतिहासिक चौगान में पहुंचे जम्मू-कश्मीर के जिला डोडा, किश्तवाड़ की इन युवा-युवतियों के साथ इन महिला का कहना है कि भगवान भोले नाथ की कृपा से इस बार की उनकी यह यात्रा बहुत ही अच्छी रही और भगवान भोले की कृपा के चलते किसी प्रकार की कोई जानी हानि नहीं हुई है।

संवाददाताः शैलेश शर्मा

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