डाईट जुखाला बनी डीएलएड प्रशिक्षुओ के लिए सहारा

सुरेंद्र जम्वाल। बिलासपुर

प्रदेश भर में डीएलएड की परीक्षाए चली हुई है परन्तु कोरोना के चलते प्रदेश भर की डाईट के होस्टल बंद है । जिसकी वजह से डीएलएड परीक्षण प्राप्त कर रहे प्रशिक्षुओ को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है । सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना उन प्रशिक्षुओ को करना पड़ रहा है जो दुसरे जिला से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है । ऐसी ही समस्या जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान जुखाला के प्रशिक्षुओ के सामने आई ।

जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान जुखाला में इस समय प्रदेश भर के छात्र डीएलएड का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है जिनमे 52 प्रशिक्षु प्रथम वर्ष तथा 82 प्रशिक्षु द्वितीय वर्ष में प्रशिक्षण ले रहे है । प्रथम वर्ष में 52 प्रशिक्षु में से 15 लड़कियां बाहरी जिला से है जबकि दुसरे वर्ष में 82 प्रशिक्षु में से 18 लड़कियां दुसरे जिला से है । यह लड़कियां है जो सिरमौर , मंडी , शिमला इत्यादि जिला से यहाँ पर प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए आई है उनके रहने का प्रबंध डाईट जुखाला में बने छात्रावास में है । जहाँ रह कर यह अपना प्रशिक्षण पूरा कर रही थी । परन्तु कोरोना के चलते इन प्रशिक्षुओ की वार्षिक परिक्षाए तो शुरू हो गई पर होस्टल खोलने की अनुमती सरकार की तरफ से नही मिल सकी जिसके चलते बाहरी जिला की लडकियों को अपनी वार्षिक परीक्षा देने में काफी समस्या पैदा हो गई ।

हालकी डाईट स्टाफ ने इन छात्रों की समस्याओं को समझते हुए अपने विभाग से परीक्षा के समय होस्टल खोलने की मांग की परन्तु उन्हें होस्टल खोलने की अनुमति नही मिली । जिसके बाद इन छात्रों के सामने परीक्षा देने की समस्या पैदा हो गई । एक दो दिन की बात होती तब भी कुछ हो सकता था परन्तु परीक्षा भी 15 दिन तक चलनी थी ऐसे में वह न तो घर से परीक्षा देने के लिए रोजाना आ सकती थी और कोरोना के चलते उन्हें किराए पर भी कमरे नही मिल रहे थे । ऐसे में डाईट के प्रधानाचार्य राकेश पाठक ने इन छात्राओं की समस्या को समझते हुए इनका सहारा बने । उन्होंने डाईट स्टाफ के साथ बैठक की परन्तु कोई भी समाधान नही निकल सका । जिसके बाद प्रधानाचार्य ने जुखाला क्षेत्र में कई लोगो से किराए पर मकान देने की बात की परन्तु कोरोना के चलते किराए पर भी कमरे नही मिल सके । इसके बाद उन्होंने जुखाला क्षेत्र से शिक्षा विभाग में तैनात अध्यापको के साथ इस समस्या को सांझा किया और उनसे अपील की कि बाहरी जिला से आई इन लडकियों को वह अपने घरो में रहने की व्यवस्था करे ताकि यह लड़कियां अपनी वार्षिक परीक्षा दे सके । इस सुझाव पर भी कई अध्यापको ने कोरोना का हवाला देते हुए अपने घरो में रखने से मना किया परन्तु प्रधानाचार्य राकेश पाठक ने भी हार नही मानी और वह लगातार इस क्षेत्र से शिक्षा विभाग में तैनात शिक्षको से इस विषय में बात करते रहे जिसके बाद कुछ सकरात्मक परिणाम सामने आए और दो अध्यापको ने इस समस्या को समझते हुए हामी भरी कि वह चार चार लडकियों की अपने घरो में रहने की और खाने की व्यवस्था कर देगे और यह सब व्यवस्था वह निशुल्क करेंगे इसके लिए वह किसी तरह का कोई शुल्क नही लेंगे । जिसके बाद डाईट प्रधानाचार्य ने बहारी जिला से आई इन लडकियों की रहने की व्यवस्था की । अब यह लड़कियां इन अध्यापको के घरो में रह कर अपनी वार्षिक परीक्षा दे रही है । गौरतलब है कि डीएलएड प्रथम वर्ष की परीक्षा 23 नवम्बर से शुरू हुई है जो 5 दिसम्बर तक चलेगी वहीँ द्वितीय वर्ष की वार्षिक परीक्षा 7 दिसम्बर से शुरू होगी और 17 दिसम्बर को समाप्त होगी ! डाईट के प्रधानाचार्य ने इन दोनों अध्यापको का धन्यवाद किया है जिनकी वजह से आज यह लड़कियां अपनी परीक्षा दे पा रही है अन्यथा यह लड़कियां वार्षिक परीक्षा नही दे पाती और इनका पूरा साल बर्बाद हो जाता। राकेश पाठक ने बताया कि माकडी गाँव से डीपी अमरजीत ठाकुर और मंगरोट गाँव से अध्यापक राकेश पाठक के घरो में इन लडकियों की रहने और खाने की निशुल्क व्यवस्था की है। वहीँ बाहरी जिला से आई इन लडकियों ने हमसे बातचीत करते हुए बताया कि जब उन्हें पता चला की वार्षिक परिक्षाए होनी है और होस्टल बंद है तब उनके सामने बहुत बड़ी समस्या पैदा हो गई उन्होंने डाईट स्टाफ से इस संधर्भ में बात की परन्तु कोई सकरात्मक जवाब नही मिल रहा था जिसकी वजह से उन्हें ऐसा लग रहा था कि वह अब वार्षिक परिक्षाए नही दे पाएंगी । परन्तु डाईट जुखाला के प्रधानाचार्य और स्टाफ उनके लिए सहारा बने जिनकी वजह से आज वह यहाँ पर रह कर अपनी परिक्षाए दे पा रही है। उन्होंने बताया कि पहले उन्हें थोडा डर था कि पता नही कैसे लोग होने जहाँ पर उन्हें रखा जा रहा है परन्तु जब वह वहा गई तब सारा डर दूर हो गया उन्होंने बताया की जहाँ वह ठहरी हुई है वहां उन्हें परिवार जैसा माहौल मिल रहा है और रहना खाना सब कुछ निशुल्क है । उन्होंने इन परिवारों और डाईट परिवार का धन्यवाद और आभार व्यक्त किया है जिनकी वजह से आज वह अपनी वार्षिक परिक्षाए दे पा रही है अन्यथा उनका पूरा साल बर्बाद हो जाता । इन लडकियों ने कहा कि स्थानीय लोगो द्वारा की गई इस सहयता को उम्र भर याद रखगी ।