उज्जवल हिमाचल। कांगड़ा
डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद आयुर्विज्ञान महाविद्यालय व अस्पताल टांडा में पहली बार ब्रेन डेड एक 18 वर्षीय युवक के अंग निकाले गए और ग्रीन कॉरिडोर बनाकर इन अंगों को पीजीआई चंडीगढ़ भेजा गया। कांगड़ा जिले के हटवास के रहने वाले एक 18 वर्षीय युवक का ब्रेन डेड हो चुका था जिससे युवक के परजिनों ने युवक के अंगदान करने का एक ऐतिहासिक निर्णय लिया। टांडा मेडिकल कॉलेज में पहली बार अंग निकालनी की पहली सफल सजर्री हुई। प्रदेश सरकार द्वारा से शरीर से अंग निकालने के लिए टांडा मेडिकल कालेज अधिकृत है जिसके चलते टांडा मेडिकल कॉलेज में शनिवार को लगभग तीन घंटे की पहली ब्रेन डेड युवक के अंग निकालने की सफल सजर्री हुई।
यह सुविधा मेडिकल कॉलेज टांडा को 5 वर्षों के लिए दी गई थी। पिछले काफी समय से इस पर काम हो रहा था। अंतत, आज प्रथम बार अंग निकालने का सफल ऑपरेशन किया गया। अंग निकालने के इस कार्य का पूरा श्रेय किडनी ट्रांसप्लांट हेड और एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर राकेश चौहान को जाता है, जिनके निरंतर प्रयासों से ही अंग निकालने का यह सफल ऑपरेशन मेडिकल कॉलेज टांडा में हो पाया है। डॉ राकेश चौहान ने बताया कि आज नगरोटा वगवा हटवास निवासी 18 वर्षीय विशाल सुपुत्न हरवंस को एक्सीडेंट होने के उपरांत मेडिकल कॉलेज टांडा में लाया गया। जहां डॉक्टरों द्वारा निरीक्षण उपरांत विशाल का ब्रेन डेड पाया गया।
उसके परजिनों ने बड़ा दिल रखते हुए इस संकट की घड़ी में भी अपने बेटे के ऑर्गन को दान देने की सहमति जताई, जिसके उपरांत डॉ राकेश चौहान ने पीड़ित का सफल अंग निकालने का ऑपरेशन किया और इन ऑर्गन को पीजीआई चंडीगढ़ भेजा गया, जहां आज इन ऑर्गन के द्वारा कई लोगों की जिंदगी बचाई जा सकेगी। डॉ राकेश चौहान ने पीड़ित परिवार के परजिनों का आभार व्यक्त किया जिन्होंने अंगदान की महत्वता को समझते हुए बड़ा दिल रखकर इतनी संकट की घड़ी में भी और कई लोगों के जीवन को बचाने के लिए अपने बेटे के ऑर्गन दान किए। विशाल ने अपनी मृत्यु उपरांत भी कई लोगों की जिंदगी बचाई और वह अब उन लोगों के अंदर हमेशा के लिए जिंदा रहेगा।